डॉ. हेमन्त ने दिया अंतरराष्ट्रीय स्तर विएना में टी.बी पर शोध लेक का वचन डॉ. हेमन्त ने देश विदेश में अंता का नाम किया रोशन
अंता (शफीक मंसूरी)
माइकोबैक्टेरियम कीटाणु से होने वाली ट्यूबरक्लोसिस (टी.बी) की बीमारी आज भी दुनिया भर में सबसे अधिक मृत्यु दर रखती है। प्रदेश के निवासी डॉ. हेमंत राठौर पुत्र गणेश लाल राठौर ने गत दिनों ऑस्ट्रिया देश के विएना शहर में चल रही न्यूक्लियर मेडिसिन की अंतरराष्ट्रीय कांफ्रेंस में बताया कि टी.बी की बीमारी आज भी एक सबसे बड़ी माहावारी है जो भारत जैसे लग भाग सभी विकासशील देशों में मृत्यु का सबसे बड़ा कारण है। अपने शोध में उन्होंने इसका सबसे बड़ा करण बताया की समय पर ना होने वाली जाँच और ना ही इलाज पूरा होने के बाद बीमारी का इस्पास्टीकरण की इलाज के बाद बीमारी बची है या नहीं।
लग भग 50 देशों से आये 5 हज़ार से ज़्यादा डॉक्टरों की इस कांफ्रेंस में डॉ हेमन्त ने बताया की जाँच में इस्तेमाल होने वाले चेस्ट (छाती) का एक्स-रे या सीटी स्कैन या सोनोग्राफी से सिर्फ़ शरीर के एक भाग को ही देखा जा सकता ही उससे बाक़ी शरीर में फैली हुइ बीमारी का पूर्ण रूप से पता नहीं लग पता ख़ास कर पेट के अंगों में, हड़ियो में, व मस्तिष्क में जिससे मरीज़ को अधूरा इलाज मिलता है व बीमारी वापस आने की संभावना ज़्यादा होती हे और ऐसे ही मरीजो में दवा का टी.बी के बैक्टीरिया पर असर न होना से वह प्रतिरोधक क्षमता बना लेता है जिसे मेडिकल की भाषा में ड्रग रेसिस्टेंस कहते है। न्यूक्लियर मेडिसिन में आने वाले पेट-सी.टी स्कैन के माध्यम से ना ही शरीर में कही भी फैली हुई टी.बी की बीमारी का पाता लगा सकते है बल्कि इलाज के बाद बीमारी की जड़ से ख़त्म होने का भी पता चल जाता है। सदैव मरीजो की सेवा करने वाले प्रदेश के डॉ. हेमन्त राठौर कही बार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश का प्रतिनिधित्व कर चुके है व राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित है।