विश्वकर्मा जयंती 17 सितंबर को
लक्ष्मणगढ़ (अलवर)कमलेश जैन
हिंदू धर्म में पूजा-पाठ और त्योहारों का काफी महत्व हैं। यहां हर अच्छी चीज़ की शुरुआत पूजा-पाठ के साथ होती है। भगवान के प्रति लोगों की गहरी आस्था है। शास्त्रों के अनुसार, भगवान विश्वकर्मा का जन्म भादो माह में हुआ था।
योग शिक्षक पंडित लोकेश कुमार ने बताया कि क्यों की जाती है विश्वकर्मा पूजा?
हर साल 17 सितंबर को उनके जन्मदिवस को विश्वकर्मा जयंती के रूप में मनाया जाता है। विश्वकर्मा को भगवान शिव का अवतार भी माना जाता है। विश्वकर्मा को दुनिया में सबसे पहले वास्तु और इंजीनियरिंग की उपाधि दी गई है।लोग अपने घरों में सुख-शांति और अपने और अपने कारोबार में तरक्की के लिए विश्वकर्मा पूजा करते हैं। श्रमिक अपने खेतों और कारखानों में अपनी दक्षता और उत्पादकता बढ़ाने के लिए भगवान विश्वकर्मा की पूजा करते हैं।
भगवान विश्वकर्मा कौन है?
भगवान विश्वकर्मा जी देवताओं के शिल्पकार थे। इसलिए इन्हें शिल्प के देवता के नाम से भी जाना जाता है। इनके पिता का नाम वास्तु था, जो धर्म की सातवीं संतान थे। और धर्म ब्रम्हा जी के पुत्र भी थे। भगवान विश्वकर्मा को निर्माण और सृजन का देवता माना जाता है। तकनीकी जगत के भगवान विश्वकर्मा जी का त्यौहार प्रतिवर्ष कन्या संक्रांति के दिन मनाया जाता है जोकि अमूमन 16 या 17 सितंबर को पड़ती है। विश्वकर्मा पूजा के दिन लोहे के सामानों जैसे औजारों, मशीनों और दुकानों की पूजा होती है।