घुटती सांसें, कटते पेड़, प्रशासन मौन, आखिर वज़ह क्या ?
थानागाजी(रामभरोस मीना)
थानागाजी से शाहपुरा के मध्य एन एच 248 ए पर आज से चार दशकों पूर्व सड़क के दोनों ओर संघन पेड़ लगाए गए जों आज विशालकाय रुप लिए सड़क के दोनों किनारों पर एक सप्ताह पुर्व तक दिखाई दे रहे थे, साथ ही बिगड़ते पर्यावरणीय हालातो को बनाए रखने में अपना योगदान दे रहे थे, लेकिन आज जों पेड़ हमें आंक्सिजन की पूर्ति कर रहे थे रोड़ के चौड़ीकरण के नाम पर उनकी बली लीं जा रही है जो पर्यावरण के लिए बहुत बड़ा खतरा है। सड़क के दोनों ओर चालीस से पच्चास फुट की दूरी पर स्थित पेड़ों को बड़ी निर्दयता से काटा जा रहा नीम शीशम, किकर, सफेदा के एक हज़ार से अधिक पेड़ कांटे जा चुके हैं जिनमें सैकड़ों पेड़ रोड की चौड़ाई करण की सीमा से काफी दूर स्थित थें आखिर उन्हें क्यों कांटा गया ओर प्रशासन मौन क्यों हैं ?एक विचारणीय व सोचने योग्य बात है एल पी एस विकास संस्थान के सचिव व पर्यावरणविद् राम भरोस मीणा ने बताया कि पेड़ों की कटाई को लेकर क्षेत्र में रोश व्याप्त हैं वहीं पर्यावरण के लिए बड़ा खतरा है। वर्तमान में गिरते वायु की गुणवत्ता व बड़ते प्रदुषण से एक तरफ़ आंक्सिजन की कमी पैदा हो रही है वहीं दूसरी तरफ़ पारिस्थितिकी तंत्र पर भी इनका प्रभाव पड़ेगा क्योंकि इस क़दर यदि पेड़ों को काटा गया तो दस हज़ार से अधिक पेड़ों की बलि लगना तय है। पेड़ काटने से पहले उन्हें चिन्हित करना बहुत जरूरी था लेकिन किसी प्रकार से कोई सीमा तय नहीं की और ठेकेदार द्वारा मनमर्जी से पेड़ों को काटा जा रहा है जो बड़ा दुखदाई है वहीं वनविभाग, पर्यावरण विभाग व स्थानीय प्रशासन द्वारा इस पर कार्यवाही होना बहुत जरूरी है जिससे पेड़ों को बचाया जा सके।