संयोजक पद पर ‘इंडिया’ गठबंधन में कोई विवाद नहीं,कोई चेहरा पेश करने की जरूरत नहीं: पवार
राकांपा अध्यक्ष शरद पवार ने शनिवार को कहा कि ‘इंडिया’ गठबंधन के सदस्यों के बीच संयोजक की नियुक्ति को लेकर कोई विवाद नहीं है, लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि आगामी लोकसभा चुनाव के लिए कोई चेहरा पेश करने की जरूरत नहीं है क्योंकि परिणाम घोषित होने के बाद नेता का चुनाव किया जा सकता है। उन्होंने कहा शनिवार को हुई ‘इंडिया’ गठबंधन के नेताओं की डिजिटल बैठक के दौरान संयोजक पद के लिए बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का नाम सुझाया गया, लेकिन उन्होंने (कुमार ने) राय व्यक्त की कि पार्टी प्रमुखों की एक टीम बनाई जानी चाहिए और संयोजक नियुक्त करने की कोई आवश्यकता नहीं है। डिजिटल बैठक के दौरान ‘इंडिया’ गठबंधन के नेताओं ने गठबंधन के विभिन्न पहलुओं और अप्रैल-मई में होने वाले लोकसभा चुनाव की तैयारियों पर चर्चा की।
पवार ने बैठक में भाग लेने के बाद पुणे जिले के जुन्नार में संवाददाताओं से कहा, “गठबंधन के सदस्यों द्वारा (बैठक के दौरान) एक सुझाव दिया गया कि नीतीश कुमार को इसका संयोजक नियुक्त किया जाए, लेकिन उन्होंने (कुमार ने) कहा कि पार्टी प्रमुखों की एक टीम का गठन किया जाना चाहिए और संयोजक नियुक्त करने की कोई आवश्यकता नहीं है।” राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के अध्यक्ष ने कहा, ‘‘वोट मांगने के लिए किसी चेहरे को आगे करने की जरूरत नहीं है। हम चुनाव के बाद नेता का चयन करेंगे और हमें विकल्प उपलब्ध कराने का भरोसा है। 1977 में मोरारजी देसाई को विपक्ष द्वारा प्रधानमंत्री पद के चेहरे के रूप में पेश नहीं किया गया था।’’ उन्होंने कहा कि यह एक सकारात्मक संकेत है कि कई दल एक साथ आ रहे हैं। पवार ने कहा कि वह पूरी डिजिटल बैठक में शामिल नहीं हो सके क्योंकि उनकी कुछ अन्य पूर्व निर्धारित व्यस्तताएं थीं।
उन्होंने कहा, उम्मीदवारों (लोकसभा चुनाव के लिए) के बारे में चर्चा नहीं हुई... हम सीट-बंटवारे पर चर्चा करेंगे। महाराष्ट्र में लोकसभा सीट को लेकर सीट-बंटवारे पर चर्चा हुई और इसे अंतिम रूप दिए जाने के बाद हम घोषणा करेंगे। पवार ने कहा कि ‘इंडिया’ गठबंधन की बैठक में संबंधित कार्यक्रमों और नीतियों पर चर्चा की गई। उन्होंने कहा कि यह निर्णय लिया गया कि एक समिति बनाई जाएगी जो पूरे देश में सहयोगी दलों की संयुक्त रैलियां आयोजित करने पर फैसला करेगी। राम मंदिर मुद्दे पर पवार ने कहा, अयोध्या में राम मंदिर का कोई विरोध नहीं करता, लेकिन जिस मंदिर का निर्माण अभी पूरा नहीं हुआ है, उसमें प्राण-प्रतिष्ठा समारोह आयोजित करने के राजनीतिक मकसद पर सवाल उठ रहा है।