झारखंड हाई कोर्ट ने पूर्व सीएम हेमंत सोरेन की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने झारखंड विधानसभा के बजट सत्र में शामिल होने की अनुमति मांगी थी। इससे पहले 22 फरवरी को रांची की विशेष पीएमएलए अदालत ने याचिका खारिज कर दी थी जिसके बाद हेमंत सोरेन ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) के पूर्व प्रमुख को 31 जनवरी को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत कथित भूमि घोटाला मामले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार किया गया था।
रांची की एक विशेष पीएमएलए अदालत द्वारा 22 फरवरी को उनकी याचिका खारिज करने के बाद सोरेन ने उच्च न्यायालय का रुख किया था। उच्च न्यायालय ने मंगलवार को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। एएनआई ने बताया कि आज 29 फरवरी को अदालत ने उनकी याचिका खारिज कर दी। ईडी ने दावा किया है कि उसने कथित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में अपनी तलाशी में 36 लाख रुपये से अधिक की नकदी और पूर्व झारखंडियों द्वारा कम से कम 12 भूमि पार्सल के अवैध कब्जे से संबंधित दस्तावेज बरामद किए हैं।
ईडी ने सोरेन पर वास्तव में और जानबूझकर अपराध की आय के अधिग्रहण, छुपाने, कब्जे और उपयोग से जुड़ी प्रक्रिया और गतिविधियों में शामिल होने और अपराध की उक्त आय को बेदाग संपत्ति के रूप में पेश करने का आरोप लगाया। ईडी ने अदालत में कहा कि सोरेन को पीएमएलए की धारा 3 के तहत दोषी पाया गया और मनी लॉन्ड्रिंग अधिनियम की धारा 19 के तहत गिरफ्तार किया जा सकता है। ईडी ने यह भी आरोप लगाया है कि 8.5 एकड़ भूमि पार्सल आपराधिक आय का हिस्सा है क्योंकि सोरेन ने अवैध रूप से अधिग्रहण किया और उन पर कब्जा कर लिया ।