एक कमरे में संचालित है अ श्रेणी का पशु चिकित्सालय जिसमें नहीं है सुविधाएं:पशुओं के लिए दवाइयों का टोटा, उपचार में आ रही परेशानी
खैरथल, अलवर ( हीरालाल भूरानी)
नवगठित जिला खैरथल में कहने को तो अ श्रेणी का पशु चिकित्सालय है, लेकिन वह भी स्वयं के भवन में न होकर नगरपालिका कार्यालय के आफिस के बगल वाली भूमि पर संचालित है।
मिली जानकारी के अनुसार खैरथल में पशु चिकित्सालय 1967 का बना हुआ है।उस समय इसका नाम पशु औषधालय था,जो बाद में क्रमोन्नत होकर पशु चिकित्सालय बना। वर्तमान में एक चिकित्सक के अलावा दो सहायक चिकित्सक सहित एक - एक सहायक कर्मचारी की नियुक्ति की हुई है। जबकि क्षेत्रफल व पशुओं की गणना की दृष्टि से सीमित स्टाफ से ही कार्य कराया जा रहा है। इस चिकित्सालय में औसतन 20 पशुओं का इलाज प्रतिदिन किया जाता है। चिकित्सकों के मुताबिक पशुओं के इलाज के लिए दवा कि कमी नहीं है। सालभर पूर्व खुले आसमान में पशुओं का इलाज किया जाता था, लेकिन भामाशाहों के सहयोग से इस चिकित्सालय में दो बड़े टीन शेड लगवाने से पशुओं सहित पशुपालकों को राहत मिलने लगी है। इस संबंध में जीव जन्तु प्रेमी कमलेश गोटेवाला व योगेश गुप्ता ने बताया कि गत वर्ष देशभर में पशुओं में फैली लम्पी बीमारी में पशु चिकित्सालय के डाक्टरों सहित समस्त स्टाफ ने बड़ा सहयोग करते हुए पूरे दिन- रात सेवाएं दी।
इनका कहना है --
इस संबंध में पशु चिकित्सालय खैरथल के डाक्टर हवा सिंह चौधरी ने कहा कि पूर्व में कई बार स्थानीय नगरपालिका सहित विधायकों, मंत्रियों से सात बीघा जमीन आवंटन की मांग की गई है लेकिन अभी तक कोई सुनवाई नहीं हुई है, जबकि जिला बनने पर यहां पशुपालन विभाग के संयुक्त निदेशक भी बैठेंगे। उम्मीद है जिला बनने से अस्पताल की अवश्य सुध ली जाएगी।