चम्बल नदी का पानी किसानों को दिलाने की मांग को लेकर बैठक का हुआ आयोजन
रामगढ़ (अलवर,राजस्थान/ राधेश्याम गेरा) गिरते जलस्तर और जलवायु परिवर्तन के कारण राजस्थान में किसानों के सामने सिचाई और पेयजल की समस्या विकराल रूप धारण कर चुकी है। इस समस्या को देखते हुए पूर्व की प्रदेश की भाजपा सरकार के समय चम्बल का पानी प्रदेश के जल संकट का सामना करने वाले 13 जिलों को दिए जाने को लेकर डीपीआर योजना तैयार की गई । प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्व में राजस्थान दौरे के दौरान इस पूर्वी नहर परियोजना को ईआरसीपी राष्ट्रीय योजना घोषित करने का ऐलान किया लेकिन राज्य में विधानसभा चुनाव के बाद कांग्रेस सरकार आ जाने से इस योजना को आज तक राष्ट्रीय योजना घोषित नहीं किया। इधर प्रदेश सरकार इस योजना को पूरा करने के लिए अपने स्तर पर करोडों रू खर्च कर संकट ग्रस्त जिलों में पानी पंहुचाने का कार्य कर रही है। लेकिन इस योजना की डीपीआर में अलवर जिले के नदी बांधों को शामिल ना करते हुए केवल शहर का जयसबंध बांध और औद्योगिक ईकाईयों तक पानी देना ही प्रदर्शित किया गया।
जिससे जिले के किसान स्वयं को ठगा महसूस कर रहे हैं। अनेक छोटे और मंझोले किसान सिचाई के लिए पानी के अभाव में भूमि बेच शहरों में मजदूरी और काम की तलाश में प्लायन कर रहे हैं। इधर जो किसान कृषि पर निर्भर हैं उन्हें उनकी लागत मुल्य भी वसूल नहीं हो पा रहा। इसी से परेशान सैकडों किसान डीपीआर में संशोधन करवा अलवर जिले के बांध और नदि नालों को शामिल कराने और इआरसीपी योजना लागू करवाने के लिए जगह जगह धरना प्रदर्शन करते आ रहे हैं। इसी के अंतर्गत आज रामगढ क्षेत्र के कस्बा अलावडा में सरपंच जुम्मा खान के घर किसानों ने बैठक आयोजित कर अपनी मांग और सार्वजनिक समस्या से देश प्रदेश में बैठे क्षेत्रीय राजनेताओं को अवगत कराने और अपनी आवाज बुलंद करने के लिए योजना बनाने पर विचार विमर्श किया।
इस दौरान डीग से आए किसान नेता मोहनसिंह गुर्जर ने कहा कि पूर्व में राजा महाराजाओं के शासनकाल के दौरान अलवर जिले की रुपारेल नदी का पानी अलवर नटनी का बारा से शुरू हो क्षेत्रीय बांधों को भरते हुए भरतपुर की मोती झील तक पंहुचता था । जिससे क्षेत्र अलवर से भरतपूर तक इस नदी के मार्ग में आने वाले बांध और नालों से धरती से पांच फुट की गहराई पर पानी निकल आता था । आज तीन सौ और 400 फुट गहराई पर भी आनी नहीं मिलता। हमारे देश की इस तरह की योजना पर चीन जैसे दूसरे देश अमल कर रहे हैं। भारत में भी नदीयों को लिफ्ट के जरिए आपस में जोडने की योजना बनाई हुई लेकिन हमारे अलवर जिले के साथ भेदभाव कर रखा है। हमारी प्रदेश सरकार से मांग है कि डीपिआर में संशोधन कर रूपारेल नदी और जिले के बांध और नालों को शामिल करे जिससे जल स्तर ऊंचा होगा और किसानों के लिए सिचाई और लोगों के पेयजल संकट दूर हो पाएगा। बैठक में रिटायर्ड अध्यापक गुरुबचन सिंह, सरपंच जुम्मा खान, चढूनी किसान युनीयन के जिला प्रवक्ता विरेन्द्र मोर ने अपनी विचार रखे और केंद्र राज्य सरकार सकारात्मक रुख अख्तैयार कर डीपिआर में संशोधन करने और इस योजना को राष्ट्रीय योजना लागू कराने की मांग की। समाजसेवी और किसान हितेशी ताहिर भाई ने डीपिआर में संशोधन कराने के लिए किसानों को लामबंद होने का आह्वान किया। बैठक के दौरान सरपंच जुम्मा खान,मोहनसिंह गुर्जर, विरेन्द्र मोर,पूर्व सरपंच कमल चंद,फजरु कंडेक्टर,महाराजमल गुर्जर,गुरुबचन सिंह,ताहिर भाई,ठेकेदार अयूब खान,रोशन सैनी पूर्व पंच सहित अनेक किसान मौजूद रहे।