लाचार मां को मदद की आस और जवान बेटा मांग रहा मौत
उदयपुर (राजस्थान/मुकेश मेनारिया) जवान होता बेटा बुढ़ापे की लाठी बनेगा, यही सपना भगवानलाल और सोहनी बाई ने देखा था लेकिन गुजर बसर कर रहे बुजुर्ग दम्पती पर दुखों का पहाड़ उस समय टूट पड़ा जब जवान बेटा लगातार बीमार रहने लगा। पता चला कि 23 वर्षीय बेटे कन्हैयालाल को गंभीर डायबिटीज है। बीमारी का स्तर भी ऐसा कि वह इंसुलिन लिए बगैर खाट से उठ भी नहीं पाता। पिता पहले से ही दमे के रोगी हैं, जिनकी सांसें चार कदम चलने पर ही उखडऩे लगती है। जवान बेटे और पति खाट में पड़े रहते हैं और बुजुर्ग मां सोहनी बाई मजदूरी कर गुजारा चला रही है। गंभीर मधुमेह से पीडि़त कन्हैयालाल खुद अस्पताल नहीं जा पा रहा और उसे ले जाने वाला भी कोई नहीं। लाचार परिवार मदद मांग रहा है और जवान बेटा मौत।
यह कहानी है उदयपुर जिले के कानोड़ वार्ड-4 कुरूमडिय़ा में रहने वाले परिवार की। भगवानलाल मीणा और सोहनी बाई का बेटा कन्हैयालाल किशोरावस्था पार करके मजदूरी करने ही लगा था कि थकावट से ग्रस्त रहने लगा। अस्पताल गया तो पता चला शुगर की बीमारी है। मधुमेह का स्तर इतना बढ़ चुका है कि उसने बिस्तर ही पकड़ लिया। बिना इंसुलिन लिए तो वह खाट से पैर भी नहीं उतार सकता। परेशानी इस बात की है कि उसे अस्पताल ले जाने और वहां तिमारदारी करने वाला कोई नहीं। झोंपड़ी में पड़े बेटे और दमे से ग्रसित पति की सेवा सोहनी बाई कर रही है। परिवार का पेट पालने के लिए वह मजदूरी करने को भी मजबूर है। स्थिति ये है कि 23 साल का बेटा और 70 साल के पिता की हालत एक जैसी है।
पीड़ा सुनाते बह निकले आंसू- भगवान लाल तो तकलीफ बताते-बताते हांपने लगे। बेटा कन्हैयालाल ज्यादा कुछ बोल नहीं पाया। सोहनी बाई ने पीड़ा सुनाई और आंखों से आंसू बह निकले। वह बोली कि जवान बेटे के साथ अस्पताल जाऊं तो मजदूरी छूट जाएगी और शाम का चूल्हा भी नहीं जल पाएगा।
टपकती छत के नीचे गुजारा - भगवानलाल के परिवार की हालत ऐसी है कि दो वक्त की रोटी का बंदोबस्त ही हो पा रहा है। सरकारी योजना में मिलने वाले अनाज से रोटी का बंदोबस्त हो रहा है। केलूपोश मकान में जैसे-तैसे गुजारा कर रहे हैं। मौसम की मार पर परिवार आहत हो जाता है। हाल ही में मावठ की बरसात के दौरान भी घर की छत टपकने लगी तो परिवार की रुलाई फूट पड़ी।