खटकड-जैतपुर सडक का नवीनीकरण तथा सुदृढीकरण का कार्य विभाग की उदासीनता के कारण लम्बित- मेघवाल
बूंदी (राजस्थान/ राकेश नामा) भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष एंव केषोरायपाटन विधायक चंद्रकाता मेघवाल का विधानसभा के सप्तम सत्र में प्रक्रिया के नियम 131 के तहत् स्टेट हाईवे नं 34 (खटकड से जैतपुर) का नवीनीकरण तथा सुदृढीकरण का अधूरा पडा निर्माण कार्य शीघ्र पूर्ण कराने हेतु ध्यानाकर्षण प्रस्ताव सदन में रखा। जिसके जबाव में सार्वजनिक निर्माण मंत्री महोदय भजनलाल जाटव द्वारा बताया गया कि उक्त सडक का कार्य वाइल्ड लाईफ क्लीयरेन्स हेतु वन विभाग में विचाराधीन होने के कारण इसका कार्य प्रारम्भ किया जाना अभी तक तय नहीं हुआ। वन विभाग की स्वीकृति के बाद पुनः चालू कर दिया जायेगा।
मेघवाल ने बताया कि केशोरायपाटन विधानसभा क्षेत्र में स्थित सार्वजनिक निर्माण विभाग द्वारा खटकड-जैतपुर सडक का नवीनीकरण तथा सुदृढीकरण का निर्माण कार्य विगत कई माह से अधूरा पडा है जिसके दुरूस्त करने के लिये क्षेत्र के स्थानीय जनप्रतिनिधियों द्वारा विभाग को कई बार अवगत करवा दिया गया है। इसके उपरान्त भी उक्त सडक का कार्य शुरू नहीं किया गया है जिससे क्षेत्र की जनता को आवागमन में काफी परेशानियों का सामना करना पड रहा है। रोड नहीं बनने का मुख्य कारण बफर जोन बताया गया है जबकि इस क्षेत्र के रणथम्भौर अभ्यारण्य के बफर जो में आने का अभी तक किसी तरह का कोई गजट नोटिफिकेशन जारी नहीं हुआ है। ऐसी स्थिति में इस रोड के प्रति यदि सरकार की मंशा सकारात्मक होती तो सडक का कार्य प्रारम्भ कराया जा सकता था।
30 अप्रैल 2018 को तत्कालीन मुख्यमंत्री माननीया वसुंधरा राजे सिंधिया के देई मीणा समाज के सामूहिक विवाह सम्मेलन में आगमन के दौरान उन्होंने स्टेट हाईवे नंबर 34 नैनवा से के पाटन रोड के चौड़ा करने की घोषणा की थी। परंतु दुर्भाग्यवश इस रोड के चौड़ा करने का कार्य नैनवा से जेतपुर तक ही पूरा हो पाया और जेतपुर से आगे रोड के चौड़ा करने का कार्य बंद कर दिया गया।
सार्वजनिक निर्माण मंत्री महोदय भजनलाल जाटव से प्रतिउत्तर में मेघवाल द्वारा कहा गया की यदि नैनवा से देई के बीच में रोड बन सकता है तो फिर जेतपुर से मानकचौक के बीच में समान स्थिति होने के बाद भी रोड क्यों नहीं बना। अगर रोड के चौड़ा करने के मामले में वन विभाग द्वारा एनओसी जारी नहीं की गई तो फिर जेतपुर से आगे पड़ने वाली पुलियाओ को चौड़ा करने की एनओसी किसने जारी की। क्या कारण है कि इस रोड के चौड़ा करने की फाइल बार-बार केंद्र सरकार से राज्य सरकार को भेजी जाती है और फिर राज्य सरकार कोई न कोई त्रुटि छोड़कर वापस केंद्र सरकार को भेज देती है ऐसा लगातार लगभग पिछले दो-तीन साल से हो रहा है। जानबूझकर वांछित जानकारियां नहीं देने और त्रुटियों के कारण केंद्र सरकार द्वारा इस रोड की एनओसी जारी नहीं की जा रही। वर्तमान में इस रोड से संबंधित एनओसी की क्या स्थिति है। और इस रोड के चौड़ा होने का कार्य कब तक कंप्लीट कर दिया जाएगा एंव सडक के पेचवर्क का कार्य कब तक पूर्ण कर दिया जायेगा इस पर मंत्री ने कहा कि सडक के पेचवर्क का 14 किमी तक पेचवर्क का कार्य कर दिया गया है जो कि सरासर झूठ है। ऐसा कहकर मंत्री महोदय ने सदन को गुमराह किया है। धरातलीय सच्चाई तो यह है कि वहां पर पेचवर्क का कार्य कभी हुआ ही नहीं है। अगर विभाग पेचवर्क का कार्य करवाता है तो वह सिर्फ खानापुर्ती का होता है एंव बरसात के मौसम शुरू होने पर पेचवर्क का कार्य होना बताया जाता है तथा स्थानीय जनप्रतिनिधियों द्वारा पूछने पर विभाग द्वारा जवाब दिया जाता है कि हमने तो पेचवर्क का कार्य तो करवाया था परन्तु बरसात में वापिस क्षतिग्रस्त हो गया। ऐसा हर बार होता आ रहा है।
मंत्री महोदय द्वारा दिये गये जवाब में बताया गया की स्टेट हाईवे 34 टोंक-नगर-नैनवां-खटकड़-के०पाटन सड़क के चौड़ाईकरण एवं सुदृढीकरण हेतु बून्दी जिले में कि.मी. 34/0 से 86/300 के कार्य की प्रशासनिक स्वीकृति उप सचिव (पथ) सा०नि०वि०) राज० जयपुर के पत्र क्रमांक एफ. 7 (07) प्रशा एवं वित्त /सैक्श - ना / 2018-19 / डी-287 दिनांक 04.07.2018 द्वारा लम्बाई 48.70 कि.मी. एवं राशि रु० 2890.80 लाख की स्टेट हाईवे प्लान योजनान्तर्गत जारी की गयी। अनुबंध के अनुसार कार्य प्रारम्भ एवं समाप्ति की तिथियों क्रमशः 24.08.2018 एवं 23.08.2019 नियत की गई थी। वर्तमान स्थिति- कि.मी. 34/0 से 67/715 तक के 30.00 कि.मी. लम्बाई में सड़क निर्माण वर्ष 2019 में ही पूर्ण कर लिया गया था तथा कि.मी. 68/260 से 86/300 (लम्बाई 18.04 कि.मी.) तक का सड़क भाग वन क्षेत्र वाईल्ड लाईफ (रणथम्भौर बफर जोन) से गुजरता है, जिसकी वाईड लाईफ क्लीयरेन्स स्वीकृति हेतु प्रस्ताव 18.03.2019 को प्रस्ताव सं० एफ.पी./आर.जे./रोड़/4004/2019 द्वारा ऑन लाईन प्रस्तुत कर दिये गये थे। इसके बाद समय-समय पर वन विभाग के अलग-अलग स्तर से आपत्तियों के जवाब अविलम्ब प्रस्तुत किये गये एवं प्रकरण दिनांक 11.02.2021 को राज्य सरकार के माध्यम से नेशनल बोर्ड ऑफ वाइल्ड लाइफ (वन पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय) भारत सरकार नई दिल्ली को अनुमति हेतु प्रस्तुत कर दिया गया थे।
वर्तमान में नेशनल बोर्ड ऑफ वाइल्ड लाइफ की आपत्तियों का जवाब सानिवि द्वारा प्रस्तुत कर दिये जाने के उपरान्त दिनांक 19.01.2022 से स्टेट बोर्ड ऑफ वाइल्ड लाईफ से नेशनल बोर्ड ऑफ वाइल्ड लाइफ को भिजवाये जाने की प्रक्रिया में है। वन विभाग से अनुमति मिलने के बाद ही इस कार्य को पूर्ण करवाया जाना संभव हो सकेगा।