गुरला के सिंघाड़े ने बनाई खास पहचान,गुरलां के सिंघाड़े है जिलेभर में प्रसिद्ध
गुरलां गांव भीलवाड़ा राजसमन्द राष्ट्रीय राजमार्ग 758 पर बसे होने के कारण हर आने जाने वाले वाहन यहां रुककर खरीदते है सिंघाड़े ।दिनभर राजमार्ग से आने जाने वाले वाहन यहाँ रुककर गुरलां के प्रसिद्ध व रशीले और मीठे सिंघाड़ो का आनंद लेते है । जिनका स्थानीय ग्रामीणो सहित आने जाने वाले राहगीर भरपूर आनंद उठा रहे है ।
भीलवाडा
गुरलां गाँव स्थित रणजीत सागर तालाब में सिंघाड़े की बम्पर खेती की जाती है । जो भीलवाड़ा जिले सहित कई जिलो में अपनी पहचान बनाते हुए मशहूर भी है ।
इस बार इन्द्र देव मेहरबान हुआ और मानसून का सक्रीय दौर भी बराबर जारी रहा वर्ष 2018 और 2019 में भी गुरलां रणजीत सागर तालाब अपनी भराव क्षमता साढ़े दस फिट को पूरी कर पाया और उसके बाद उस पर अब चादर भी चलने लगी हैं। इसी रणजीत सागर तालाब में सिंघाड़े की खेती हर वर्ष की जाती है जो भीलवाड़ा जिले सहित आस पास के कई जिलो में अपनी पहचान "गुरलां के रशिले सिंघाड़े" के रूप में बनाये हुए है ।
गुरलां सहित चित्तौड़गढ़ जिले के कहार जाती के लोग यहां आकर सिंघाड़े की खेती करते है । ये कहार परिवार यहाँ के रणजीत सागर तालाब में करीब 5 से 7 बीघा सिंघाड़े की खेती हर वर्ष करते आये है । गणपत कहार बताते है की सिंघाड़े की खेती केवल दो से तीन महीने की ही होती है जो शारदीय नवरात्रा से प्रारम्भ होती है और नव वर्ष के आगमन तक समाप्त हो जाती है । इन दो तीन महीनो में यहाँ के सिंघाड़े कई जिलो में पहुँचाये जाते है । इसके लिए रतन सिंह का कहना है की हर रोज यहाँ से होलसेल में 5 से 6 क्विंटल सिंघाड़े खरीद कर गाड़ी से कभी कांकरोली तो कभी उदयपुर के साथ चित्तौड़गढ़ पाली सहित कई जिलो में पहुँचाया जाता है । जहाँ मंडियों में अच्छे दाम मिल जाते है ।
ईतना ही नही गुरलां भीलवाड़ा राजसमन्द राष्टीय राजमार्ग संख्या 758 पर बसे होने के कारण यहाँ दिनरात वाहनों की आवाजाही लगी रहती है । ऐसे में कहार परिवार अल सुबह से ही रणजीत सागर तालाब की पाल पर लॉरी लगा देते है । जहाँ से दिनभर राजमार्ग से आने जाने वाले वाहन यहाँ रुककर गुरलां के प्रसिद्ध व रशीले और मीठे सिंघाड़ो का आनंद लेते है । जिनका स्थानीय ग्रामीणो सहित आने जाने वाले राहगीर भरपूर आनंद उठा रहे है ।
गुरला बद्री लाल माली