पर्यावरण का रखे ध्यान तभी बनेगा देश महान- नेहपाल सिंह
राजगढ़ (अलवर, राजस्थान/ महावीर सैन) पर्यावरण संरक्षण के महत्व को बताते हुए विशेष जानकारियां दी। शिक्षाविद पर्यावरणविद कानूनविद नेहपाल सिंह ने बताया कि 5 जून 1974 को पहली बार केवल एक पृथ्वी के स्लोगन के साथ स्वीडन की राजधानी "स्टॉकहोम" में विश्व पर्यावरण दिवस मनाया गया। इसका मुख्य उद्देश्य हमारी प्रकृति की रक्षा के लिए जागरूकता बढ़ाना था। पर्यावरण स्वच्छ रहेगा तभी पृथ्वी पर जीवन संभव है। जंगलों की कटाई, ग्लोबल वार्मिंग से बचाव और भविष्य में आने वाले खतरों से आगाह करने के लिए हर वर्ष पर्यावरण दिवस मनाते हैं। पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 19 नवंबर 1986 से लागू हुआ।
पर्यावरणीय समस्या जैसे प्रदूषण, जलवायु परिवर्तन इत्यादि मनुष्य को अपनी जीवन शैली के बारे में पुनर्विचार के लिए प्रेरित कर रही है। रियो-डी-जेनेरो में पर्यावरण को लेकर विकसित व विकासशील राष्ट्र हर वर्ष एकत्रित होते हैं पर कुछ भी निष्कर्ष नहीं निकलता है। ग्रीन हाउस गैसें कार्बन डाइऑक्साइड, मेथेन, नाइट्रस ऑक्साइड, सीएफसी (क्लोरोफ्लोरोकार्बन), ओजोन आदि उत्तरदायी है। वायु प्रदूषण से अम्लीय वर्षा के खतरो में वृद्धि हुई हैं। बारिश के पानी में सल्फर डाइऑक्साइड, नाइट्रस ऑक्साइड इत्यादि जहरीली गैसों के घुलने से अम्लीय वर्षा हो रही है। ध्वनि प्रदूषण से मनुष्य में चिड़चिड़ापन आ रहा है। पर्यावरण का ध्यान रखना हर व्यक्ति की जिम्मेदारी है। पर्यावरण संरक्षण के लिए वृक्षारोपण अति आवश्यक है क्योंकि जीवनदायिनी ऑक्सीजन का एकमात्र स्रोत "वृक्ष" ही है।
मानव जीवन वृक्षों पर निर्भर है, यदि वृक्ष नहीं रहेंगे तो धरती पर जीवन संकट में पड़ जाएगा। किसी भी देश की समस्या वहां के निवासियों की भौतिक समृद्धि में निहित नहीं होती है बल्कि वहां की जैव विविधता पर निर्भर होती है। हमें पर्यावरण बचाने के लिए रेल्वे ट्रैक, सड़क, नहर, जोहड़, अस्पताल, कोर्ट, थाने, वन विभाग तथा गोचर भूमि के पास अधिक से अधिक पेड़ लगाकर लोगों को प्रेरित करें पर्यावरण संरक्षण करना हम सब का कर्तव्य है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 51 (क) की खंड (छ) के अनुसार प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है कि वह पर्यावरण का संरक्षण करें तथा प्राकृतिक पर्यावरण जिसके अंतर्गत वन, झील, नदी और वन्य जीव इत्यादि की रक्षा करें। पेरिस समझौता एक महत्वपूर्ण पर्यावरणीय समझौता है। जिसे प्रत्येक राष्ट्र को मानना चाहिए और इसका उद्देश्य ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को काफी हद तक कम करना है।
पर्यावरण प्रदूषण के रोकथाम के लिए सभी को सकारात्मक सोच रखनी होगी। वर्षा के जल का संचय करते हुए भूमिगत जल को संरक्षित करने का भी सभी को प्रयास करना होगा। धूम्रपान ना करें व पॉलिथीन न जलाएं। घर से निकलते समय कपड़े, जूट का बैग प्रयुक्त करें। साइकिल का प्रयोग करें, घर के आसपास सब्जियां उगाए तथा इन के छिलकों को पेड़ों में ही वापस डाल दें, गोबर खाद या जैविक खाद का भी उपयोग करें। पीपल, बरगद छायादार-फलदार पेड़ लगाएं। रीसाइक्लिंग करें, सोलर पैनल तथा सोलर कुकर व सौर ऊर्जा का अधिक से अधिक उपयोग करें
वाहनों की समय पर सर्विस कराएं। जिससे कार्बन डाइऑक्साइड का वायुमंडल में अनुपात अधिक न हो तथा औद्योगिक इकाइयों द्वारा फैल रहे प्रदूषण को रोकने के लिए प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड मापदंडों की सख्ती से पालना कराएं तथा एनजीटी सख्त कदम उठाए जिससे पर्यावरण का संरक्षण हो। यद्यपि इस वर्ष लोकडाउन की वजह से प्रदूषण कम हुआ है साथ ही भारत सरकार सभी बोर्ड परीक्षा देने वाले छात्रों व कॉलेज के छात्रों के लिए सत्रांक मार्क्स में कुछ अंक पर्यावरण विषयों के निर्धारित करें तथा " पेड़ लगाकर उसे सुरक्षित रखना अनिवार्य करें " जो पर्यावरण संरक्षण के लिए अच्छी पहल होगी
- "पर्यावरण का रखें ध्यान तभी बनेगा देश महान, वन है भारत भू के भूषण, वन्यजीव इनके आभूषण”