पाताल में पानी ढूंढने की मची होड़, बर्बाद होता करवर क्षेत्र का किसान

Oct 16, 2020 - 03:04
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पाताल में पानी ढूंढने की मची होड़, बर्बाद होता करवर क्षेत्र का किसान

बूंदी, राजस्थान

 बून्दी::- पाताल में पानी ढूंढने की किसानों में इन दिनों होड़ मची हुई है यह बात भले ही कानों से सुनने में जरूर अटपटी लगती है लेकिन करवर क्षेत्र में यह बात सत्य साबित हो रही है। क्योंकि इस साल कम बरसात होने से यहां जल स्रोतों में पानी रिचार्ज नहीं होने से नलकूपों में पानी रितने के चलते अब लोग बोरिंग खुदा कर पाताल में पानी ढूंढ रहे हैं लेकिन 10% बोरिंग में भी पानी नहीं मिल पा रहा है ऐसे में किसान बर्बादी के कगार पर खड़ा होता नजर आ रहा है। जानकारी में किसानों ने बताया कि पहले किसानों ने खरीफ की बुवाई की लेकिन कम बरसात प्रकृति प्रकोप के चलते फसल नष्ट हो गई लेकिन जहां भगवान का कोप के बाद फसल नष्ट हुई तो किसानों को जहा राज पर भरोसा  था लेकिन अभी तक भी किसानों को न तो राजस्व खराबा का लाभ मिला और तो और सरकार द्वारा अभी तक भी किसानों को खराबे को लेकर आंकड़े  नहीं बता पाई उधर बीमा कंपनी द्वारा अभी तक किसानों को फसल खराबे का मुआवजा नहीं मिला ऐसे में किसानों के सामने आर्थिक तंगी होने के बाद भी रबी की बुवाई के लिए रेलना करना चाहते हैं लेकिन बोरिंग में पानी नहीं होने से खेत पडत रह रहे हैं ऐसे में किसानों में बोरिंग खुदवाने की होड़ मची हुई है अकेले  कस्बे में ही एक दर्जन से अधिक बोरिंग मशीन है जो बोरिगं खोदने में जुटी हुई है।किसान अशोक गुर्जर, रामप्रसाद मीणा, सत्यनारायण नागर, रूप सिंह गुर्जर ,सीताराम नागर ने बताया की खरीफ की फसल गई अब रबी की बुवाई के लिए खेतों में नमी नहीं होने से किसान रे लेना चाहता है लेकिन बोरिंग में पानी नहीं होने से किसान साहूकारों से कर्ज लेकर बोरिंग खुदवा रहे हैं अपवाद स्वरूप कुछ बोरिंग में ही थोड़ा बहुत पानी मिल पा रहा है बाकी तो खाली जाने से किसान बर्बादी के कगार पर हैं वैसे लंबे समय से किसान क्षेत्र में नहरी पानी का इंतजार कर चुके हैं लेकिन अब करें तो क्या करें जहां किसानों का राज साथ नहीं दे रहा वही भगवान भी रूट सा गया है लेकिन किसानों ने अभी तक हिम्मत नहीं हारी और दिन रात मेहनत कर सिंचाई करने में जुटे हुए हैं ।
 

क्या है समाधान
 करवर केवल वर्षा आधारित क्षेत्र है जहां पर जिस साल अच्छी बरसात होती है उस साल रिचार्ज होने से रबी की पैदावारी हो जाती है अन्यथा बरसात नहीं होने पर किसान केवल बोरिगं भरोसे रहते हैं जिससे आधे खेत पड़त रह जाते हैं इस साल किसानों की माने तो क्षेत्र में 40% खेतो मे ही रेलणा हो पाएगा। फसल पिलाई नहीं हो पाएगी वैसे कम पानी वाली फसल चने की बुवाई कर रहे है । करवर । क्षेत्र में नहरी पानी आए या माछली बांध की ऊंचाई बढा कर पान रखा जाए तो सकता है करवर। लंबे समय से किसानों को नहरी पानी का इंतजार है लेकिन राजनेताओं द्वारा किए गए वादे झूठे साबित हुए है क्षेत्र में नहरी पानी आए तो किसानों का भला हो सकता है अब किसानों को जागने का समय आ गया है  किसानों के हक के लिए गांव से लेकर केंद्र तक महा पंचायत अपनी आवाज पहुंचाएगा। 

  • राकेश नामा की विशेष रिपोर्ट

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