सरकारी कामों में भ्रष्टाचार का खेल कितना होता है, इसका एक ताजा उदाहरण बिहार से मिल रहा है। बिहार के भागलपुर जिले में सुल्तानगंज में एक का पुल बन रहा था। यह पुल अगवानी-सुल्तानगंज को जोड़ रहा था। पुल के निर्माण में 1710 करोड़ की लागत आ रही थी। हालांकि शुक्रवार रात आई तेज आंधी और बारिश की वजह से पुल का स्ट्रक्चर ही गिर गया। राहत की बात तो यह है कि फिलहाल इस हादसे में किसी तरीके का जान-माल के नुकसान की सूचना नहीं है। लेकिन जिस तरीके से यह पुल का हिस्सा गिरा है, उससे इसके गुणवत्ता पर सवाल खड़े हो रहे हैं। यह फूल मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के महत्वाकांक्षी परियोजनाओं में से एक है।
खुद सुल्तानगंज से जदयू विधायक ललित नारायण मंडल पुल के हिस्से के गिरने से चकित हैं। उन्होंने तो यह भी कह दिया है कि हमने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को इसकी जानकारी दे दी है। इसकी जांच भी जल्द ही शुरू की जाएगी। उन्होंने कहा कि लगता है कि निर्माण के लिए घटिया सामग्री का इस्तेमाल किया गया था। इस पुल का निर्माण 2015 के फरवरी में शुरू किया गया था। पुल का टेंडर एसपी सिंगला कंपनी को मिला था। निर्माण कार्य पूरा हो जाने के बाद बरौनी खगरिया एनएच 31 और दक्षिण बिहार के मोकामा, लखीसराय, भागलपुर और मिर्जाचौकी एनएच 80 को जोड़ता। हालांकि यह सब हो पाता उससे पहले ही पुल का एक हिस्सा गिर गया है। जदयू विधायक ने साफ तौर पर निर्माण में धांधली का आरोप लगा दिया है।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एनएच की आधारशिला 23 फरवरी 2014 को रखी थी। 9 मार्च 2015 को मुख्यमंत्री ने पुल निर्माण का कार्य शुरू करने के लिए उद्घाटन भी किया। माना जाता है कि इस पुल का निर्माण हो जाने के बाद से श्रावणी मेला के दौरान कावड़ लेकर आने वाले श्रद्धालुओं को सबसे ज्यादा फायदा होगा। खगड़िया से भागलपुर की दूरी 90 किलोमीटर की बजाय 30 किलोमीटर रह जाएगी। इस पुल के निर्माण से विक्रमशिला और मुंगेर ब्रिज पर गाड़ियों का दबाव कम होगा। नदी पर पुल की लंबाई 3.16 किलोमीटर रहनी है। पुल का निर्माण 2019 में ही पूरा कर लिया जाना था। लेकिन बाढ़ और भूमि अधिग्रहण की पेच के कारण इसकी डेडलाइन 2022 कर दी गई थी।