मकान के मूल दस्तावेज खोना निजी बैंक को भारी पड़ा: राज्य उपभोक्ता प्रतितोष आयोग ने 10 लाख रुपए का हर्जाना लगाया
जोधपुर। राज्य उपभोक्ता प्रतितोष आयोग जोधपुर बैंच ने मकान के मूल दस्तावेज खोने पर आईडीबीआई बैंक पर 10 लाख रुपए हर्जाना देने के आदेश दिए हैं। आयोग के समक्ष परिवादी ओम प्रकाश अरोड़ा ने परिवाद प्रस्तुत कर बताया कि उसके द्वारा आईडीबीआई बैंक से दो क्रप्टा प्राप्त किए गए थे जिसके एवज में बैंक ने उसके मकान के मूल दस्तावेज बतौर अमानत रखे थे। परिवादी ने समस्त ऋऋण राशि जमा करवा दी तथा मूल दस्तावेज लौटाने की मांग की। परिवादी ने अपने मकान को किसी अन्य व्यक्ति को बेचने का इकरारनामा भी कर लिया। इसके बाद भी बैंक ने काफी चक्कर कटवाए तथा अंत में कहा कि परिवादी के मूल दस्तावेज जलकर नष्ट हो गए हैं। बैंक मूल दस्तावेज की प्रमाणित प्रति देने को तैयार है। परिवादी ने परिवाद में बताया कि उसने जिस व्यक्ति के साथ मकान विक्रय का करार किया है उसके बैंक ने असल दस्तावेज के अभाव में ऋष्टा देने से इनकार कर दिया है। परिवादी ने बैंक के विरुद्ध सेवा दोष बताते हुए कल 92 लाख 50 हजार रुपए क्षतिपूर्ति का दावा प्रस्तुत किया। बैंक की ओर से जवाब प्रस्तुत कर बताया गया कि परिवादी के असल दस्तावेज मुंबई में सुरक्षित रखने के लिए भेजे गए थे लेकिन वहां पर आग लगने से कई दस्तावेज जल गए जिसकी सूचना परिवादी को भी दी गई तथा दस्तावेज़ की प्रमाणित प्रति भी देने के लिए भी लिखा लेकिन परिवादी ने संपर्क नहीं किया। परिवादी ने मकान विक्रय का कोई इकरारनामा प्रस्तुत नहीं किया इसलिए परिवादी का परिवाद अस्वीकार करने की प्रार्थना की। आयोग के सदस्य न्यायिक निर्मल कुमार मेडतवाल व सदस्य लियाकत अली ने दोनों पक्षों की बहस सुनकर आदेश दिया कि बैंक ने यह स्वीकार किया है कि परिवादी के मूल दस्तावेज जलकर जल गए हैं तथा परिवादी ने अपने मकान को किसी अन्य व्यक्ति को बेचने का इकरारनामा भी प्रस्तुत किया है तथा 10 लाख रुपए अग्रिम भी प्राप्त कर लिए हैं लेकिन असल दस्तावेज के अभाव में विक्रय इकरारनामा निरस्त हो गया है। परिवादी ने बैंक को भेजे गए नोटिस की प्रति भी प्रस्तुत की है। बैंक ने असल दस्तावेज अपने पास रखने के तथ्य को स्वीकार किया है।
दस्तावेज स्टोर होल्डिंग कॉरपोरेशन आफ इंडिया मुंबई के यहां रखे गए थे तथा वहां आग लगने से परिवादी के असल दस्तावेज जल गए। आयोग के सदस्य न्यायिक निर्मल कुमार मेडतवाल व सदस्य लियाकत अली ने परिवादी के परिवाद को स्वीकार करते हुए आदेश दिया कि बैंक ने असल दस्तावेजों की सुरक्षा में चूक की है जिस कारण परिवादी द्वारा निष्पादित इकरारनामा भी रद्द हो गया तथा मूल दस्तावेजो के अभाव में बाजार में मकान की कीमत कम हो जाती है। आयोग ने विभिन्न न्यायिक निर्णयों को देखते हुए परिवादी के असल दस्तावेज नष्ट हो जाने को बैंक का सेवा दोष मानते हुए परिवादी के परिवाद को स्वीकार करते हुए विपक्षी बैंक को 10 लाख रुपए हर्जाना व अन्य खर्च के कुल 75 हजार कुल 10 लाख 75 हजार रुपए दो माह में अदा करने के आदेश दिए। साथ ही बैंक को परिवादी को राजस्थान सरकार के परिपत्र के अनुसार दो माह की अवधि में अपने खर्चे पर नया असल पट्टा जारी करने का आदेश भी दिया। परिवादी की ओर से अधिवक्ता जितेंद्र सिंह व विपक्षी की ओर से अधिवक्ता पीसी सिंघवी उपस्थित हुए।
- निसार गौरी