विजयादशमी पर नहीं मनाते दशहरा , रावण की ससुराल मे होता है शोक
जोधपुर,
विजयादशमी पर जहां पूरा देश असत्य पर सत्य की विजय के प्रतीक इस दिन खुशी मनाएगा, वहीं जोधपुर में खुद को रावण का वंशज मानने वाले कुछ परिवार शोक मनाएंगे। ऐसी मान्यता है कि मंदोदरी के साथ रावण का विवाह जोधपुर में हुआ था। उस समय बारात में आए इन लोगों के पूर्वज यहीं पर बस गए थे। इन लोगों ने रावण का मंदिर भी बनवा रखा है और नियमित रूप से रावण की पूजा भी करते हैं।
मेहरानगढ़ फोर्ट में है रावण का मंदिर
जोधपुर के मेहरानगढ़ फोर्ट की तलहटी में रावण और मंदोदरी का मंदिर है। इस मंदिर में रावण और मंदोदरी की अलग-अलग विशाल प्रतिमाएं स्थापित हैं। दोनों को शिव पूजन करते हुए दर्शाया गया है 2008 में इस मंदिर का निर्माण कराया गया
मन्दिर के पुजारी ने बताया कि रावण की पूजा कर उनके अच्छे गुणों को लेने का प्रयास करते हैं। जोधपुर में इस गौत्र के करीब 100 और जिले के फलोदी में 60 परिवार निवास करते हैं। रावण महान संगीतज्ञ होने के साथ ही वेदों के ज्ञाता थे। ऐसे में कई संगीतज्ञ व वेद का अध्ययन करने वाले छात्र रावण का आशीर्वाद लेने इस मंदिर में आते हैं।