नहीं रहे रेडियो की आवाज़ खम्मा घणी कहने वाले हाजी जफर खान:ओजस्वी वाणी के धनी हमेशा के लिए हुए ख़ामोश
जोधपुर ( राजस्थान/ बरकत खान) आकाशवाणी के प्रसिद्ध वरिष्ठ उद्घोषक तथा जोधपुर ही नहीं आस- पास के प्रमुख क्षेत्रों के उत्सवों की शोभा, राजस्थानी भाषा के प्रभावशाली वक्ता और उसकी संवैधानिक मान्यता के प्रबल समर्थक, मारवाड़ रत्न व राजस्थान गौरव से सम्मानित हाजी जफर खान सिंधी का रविवार को उनके निवास स्थान सिवांची गेट के भीतर इंतकाल हो गया।
शहर के अनेक प्रबुद्धजनों व सर्व समुदाय के लोगों ने उनकी अंतिम यात्रा में सम्मिलित होकर उनके प्रति श्रद्धा प्रकट की। जैसलमेर का मरु महोत्सव तथा जोधपुर के स्थापना दिवस पर मेहरानगढ दुर्ग में होने वाले भव्य समारोह सहित कई राष्ट्रीय स्तरीय समारोह का उन्होंने कई वर्षों तक संचालन किया। वर्ष 1986 से एंकरीग कर रहे, आवाज के जादूगर हाजी जफर खान ने ‘आप की फरमाईश‘ ‘मेरी आवाज ही मेरी पहचान‘ तथा ‘फूलवारी‘ जैसे कई प्रसिद्ध प्रोग्राम दिये। अनेक वर्षों तक इन्होंने पत्रकारिता के क्षेत्र में भी उल्लेखनीय सेवाएं दी।
जोधपुर की महेश स्कूल के छात्र रहे जफर खान ने कॉलेज की शिक्षा उस्मानिया यूनिवर्सिटी से पूरी की और तीन विषय हिन्दी, इतिहास व समाजशास्त्र में एम.ए. किया। इनकी आवाज शॉर्ट मूवी के जरिये ब्रिटेन के भारतीय दूतावास में भी गूंज चुकी है तथा इनकी आवाज को गुजरात में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बाड़मेर में रिफाइनरी के समय भी काफी ज्यादा पसंद किया गया।
हाईकोर्ट में रीडर रहे सिकंदर खान के इकलौते पुत्र जफर खान अपने परिवार में माता, पत्नी और दो पुत्रों को छोड़ चले गए। इनके जनाजे़ (अंतिम यात्रा) में आकाशवाणी व रेडियो जगत से जुड़े सदस्य, शिक्षाविद्, समाजसेवी, कई राजनीतिक पार्टी सदस्य, पार्षदगण, शहर के मशहूर शाइर तथा मुस्लिम सिंधी समुदाय के कई गणमान्य लोग व बड़ी संख्या में आमजन मौजूद रहे।
मरहूम जफर खान के पुत्र ज़मीर खान ने बताया कि इनके फूलों की फातिहा सोमवार 3 अप्रैल को दोपहर ढाई बजे सिंवाची गेट स्थित सिंधीयान मस्जिद मेंं तथा आम बैठक मेहर समाज के न्याति नोहरे में शाम चार बजे से रखी जायेगी।