नवरात्रि में लगभग 50 साल बाद बना अद्भुत ज्योतिषीय सयोंग :-ज्योतिषचार्य त्रिकाल
पाली, राजस्थान
जैतारण (पाली) ज्योतिषचार्य डॉ. महेन्द्र भाटी "त्रिकाल" के मुताबिक, इस बार नवरात्रि में करीब 50 साल से ज्यादा के बाद न्याय के ग्रह शनि स्वराशि मकर और देव गुरु स्वयं की स्वराशि धनु में रहेंगे. जो एक अद्भुत ज्योतिषीय सयोंग होगा साथ ही साथ इस बार घटस्थापना पर भी विशेष संयोग बन रहा है. ये कई लोगों को खुशियों से भर सकते हैं. पुराणों में बताया गया है कि नवरात्रि माँ दुर्गा की आराधना, संकल्प, साधना और सिद्धि का दिव्य समय है। यह तन-मन को निरोग रखने का सुअवसर भी है। देवी भागवत के अनुसार मां भगवती ही ब्रह्मा, विष्णु एवं महेश के रूप में सृष्टि का सृजन, पालन और संहार करती हैं। भगवान शंकर के कहने पर रक्तबीज शुंभ-निशुंभ, मधु-कैटभ आदि दानवों का संहार करने के लिए माँ पार्वती ने असंख्य रूप धारण किए किंतु माता के मुख्य नौ रूपों की पूजा-अर्चना की जाती है। नवरात्रि का प्रत्येक दिन देवी माँ के विशिष्ट रूप को समर्पित होता है और हर स्वरूप की उपासना करने से अलग-अलग प्रकार के मनोरथ पूर्ण होते हैं अधिकमास समाप्त होते ही 17 अक्टूबर 2020 से शारदीय नवरात्र शुरू होने जा रहे हैं. आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शुरू होने जा रहे नवरात्रों में मां दुर्ग के नौ स्वरूपों की पूजा होगी. नवरात्रि का हर दिन मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों को समर्पित होता है. ज्योतिषविद डॉ. महेन्द्र भाटी "त्रिकाल" का कहना है कि नवरात्रि में इस बार करीब 50 साल के बाद एक बेहद शुभ संयोग भी बनने जा रहा है. नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की उपासना की जाती है और इसी दिन घटस्थापना भी करते हैं. जौ के ज्वारे के साथ-साथ अखंड ज्योति भी जलाई जाती है. पूरे विधि-विधान से नवरात्रि के व्रत रखने वालों को मां दुर्गा का आशीर्वाद से लाभ प्राप्त होता है.
नवरात्रि में इस बार कई और भी खास संयोग बन रहे हैं. राजयोग, दिव्य पुष्कर योग, अमृत योग, सर्वार्थ सिद्धि योग और सिद्धि योग शारदीय नवरात्रि को खास बना रहे हैं. इस दौरान मां दुर्गा को लाल वस्त्र, फल और फूल अर्पित करने से आपको काफी लाभ मिलेगा. इस बीच दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से आपकी मनोकामनाएं भी पूरी हो सकती हैं.
★ देवी भाग्वत पुराण के अनुसार नवरात्र की शुरुआत सोमवार या रविवार को होने पर देवी दुर्गा हाथी पर सवार होकर आती हैं। वहीं अगर शनिवार या मंगलवार को नवरात्र की शुरुआत होने पर मां घोड़े पर सवार होकर आती है जो देश के लिए अच्छा है क्योंकि घोड़े को पराक्रम व युद्ध का प्रतिनिधि माना गया है इस सवारी से पड़ोसीं देशो में भारत का वर्चस्व बढेगा युद्ध की भी आशंका ज्योतिष शास्त्र जता रहे है लेकिन माँ भगवती का जो जाने की सवारी है वो पैदल से है जो देश मे रोग , शोक ओर बीमारी बढने की सम्भावना से इनकार नही किया जा सकता है ।
★ आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि इस साल 17 अक्टूबर को पड़ रही है. ऐसे में 17 अक्टूबर 2020 के दिन कलश स्थापना होगी. कलश स्थापना के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 8 बजकर 21 मिनट से शुरू होकर 9 बजकर 31 मिनट पर खत्म होगा. वहीं अभिजीत मुहूर्त सुबह 12 बजकर 11 मिनट से शुरू होकर 12 बजकर 41 मिनट पर खत्म होगा.
तन्त्र से जुड़े लोगों के ये नवरात्रि होती है खास इसमें तन्त्र की सारी पूजाओं का भोग का विशेष समय है अघोर वाले इस नवरात्रि की अष्टमी व नवरात्र के समापन के बाद दिया जाता है विशेष शक्तियों को तामसिक भोग ताकि वे शक्तियॉ आगामी एक वर्ष तक रहे जागृत ।
- मुकेश कुमार गोपावास की रिपोर्ट