मन की अद्भुत शक्ति - रूपक शर्मा
दूसरो पर निर्भर रहना आपकी मानसिक शक्ति को कमजोर बना देता है
रूपक शर्मा (अलवर)
एक ठंडी रात में एक अरबपति सेठ जब अपने शो रूम से अपने घर लौट रहा था तो रास्ते में एक दुकान के बाहर चबुतरे पर एक बूढ़े गरीब आदमी को देखा सेठ ने ड्राईवर को गाड़ी रोकने के लिए कहा। सेठ ठंड से ठिठुरते हुए गाड़ी से बाहर निकला और बूढ़े आदमी से मिला। उसने उससे पूछा, क्या तुम्हें बाहर ठंड महसूस नहीं हो रही है, और तुमने कोई कोटगर्म कपड़ा भी नहीं पहना है बूढ़े ने जवाब दिया मेरे पास कोट नहीं है लेकिन मुझे इसकी आदत है। अरबपति ने जवाब दिया कि बाबा इतनी तेज सर्दी पड़ रही है लेकिन मेरा भी कुछ फर्ज बनता है तू यहीं रूक बाबा मैं तेरे लिए मेरे घर से कुछ गर्म कपडे लाता हूं। वैसे तो मेरा घर यहीं पास ही है मैं जल्दी ही आता हूं तेरे लिए गर्म कपड़े लेकर तब तक तू यहां से जाना नहीं ऐसे कह कर सेठ गाड़ी में बैठा और चलता बना। बूढ़ा बाबा बेचारा बहुत खुश हुआ और उसका इंतजार करने लगा बूढ़े बाबा की नजरें अब सिर्फ सड़क की ओर ही थी एक आशा के साथ अरबपति सेठ अपने घर में घुस गया और वहां जाकर व्यस्त हो गया और गरीब आदमी को भूल गया। सुबह उठते ही उस सेठ को याद आया कि उसने तो रात को उस बूढ़े गरीब बाबा को गर्म कपड़े देने का वादा किया था , शायद वो उसका इंतजार कर रहा होगा तो उसने ड्राईवर को आवाज दी। गाड़ी लेकर सेठ उस गरीब बूढ़े व्यक्ति को खोजने निकला लेकिन उसे वो बाबा नहीं मिला। सेठ जब वापिस अपने घर आ रहा था तो रास्ते में उसे एक स्थान पर लोगों की भीड़ दिखी तो उसने ड्राईवर को कार रोकने को कहा । सेठ गाड़ी से उतरा ओर देखा कि बाबा ठंड के कारण मर गया लेकिन उस बाबा हाथ में एक कागज था उस पर कुछ लिखा हुआ था। सेठ ने वो कागज पढ़ा तो उसमें लिखा था कि जब मेरे पास कोई गर्म कपड़े नहीं थे, तो मेरे पास ठंड से लड़ने की मानसिक शक्ति. आत्मबल था, लेकिन जब मुझे गर्म कपडे मिलने की आस जागी तो मुझे ठंड लगने लगी क्योंकि मैं अपने शरीर को अपने मन के गर्म कपड़े पहना चुका हूं जो दूसरे पर निर्भर है उसने मेरी मानसिक शक्ति को कमजोर कर दिया है। जिसके कारण मैं सर्दी सहन नहीं कर पा रहा हूँ.....…