Alwar - 67 वीं जिला स्तरीय कबड्डी प्रतियोगिता में खिलाड़ी भूख और प्यास से रहे व्याकुल
शारीरिक शिक्षक रात्रि कालीन खिलाड़ियों को लावारिस छोड़कर चले जाते हैं अपने घर
बच्चे बाजारों में धूम्रपान करते देखे गए बच्चों को कोई घटना घटित हो जाए तो जिम्मेदार कौन?
लक्ष्मणगढ़ (अलवर,राजस्थान) लक्ष्मणगढ़ उपखंड मुख्यालय पर 67वीं कबड्डी प्रतियोगिता का आयोजन चल रहा है इस प्रतियोगिता में जिला स्तर के 52 स्कूलों के खिलाड़ियों ने प्रतियोगिता में भाग लिया जिसमें कुछ कमी खामियां देखने को मिली खासतौर से शारीरिक शिक्षक जो कि प्रत्येक विद्यालय से खिलाड़ियों के साथ पहुंचे तो थे। प्रत्येक खिलाड़ी के नाम₹150 की राशि भी चाय नाश्ता खाने के बतौर दिए गए थे जो की एक खिलाड़ी को प्रतिदिन का खर्चा था। पर क्या करें शारीरिक शिक्षक बच्चों के पैसे को जेब में रख करके और अपने-अपने घरों में आराम फरमाने के लिए चले गए। बच्चों को स्कूल इत्यादि में छोड़ गए जिसके चलते बच्चे लक्ष्मणगढ़ के बाजारों में सड़कों पर धूम्रपान इत्यादि करते देखे गए वहीं कुछ बच्चे भूख और प्यास से व्याकुल भी देखे गए ऐसे में यहां इन बच्चों के लिए शारीरिक शिक्षकों का साथ में होना अनिवार्य था
क्या करें जहां कल कलती तेज धूप के अंदर बच्चे खेल प्रतिभा में अपना दम कब दिखा रहे थे तो बच्चों को क्या पता शाम को भोजन के लिए भी भटकना पड़ेगा बच्चों के पास पैसे भी नहीं और शारीरिक शिक्षक अपनी बीवी बच्चों के साथ घरों में आराम फरमाए बच्चे भूख से व्याकुल और इंदिरा रसोई पर पहुंचे वहां इंदिरा रसोई वालों ने भी हाथ खड़े कर दिए वह भी क्या करें 200 के टोकन इंदिरा रसोई वाले को मिलते हैं फिर भी उन्होंने 300 लोगों को भोजन कर दिया अब कहां से क्या करें बच्चों के आगे मुसीबत आप पड़ी, प्रत्येक विद्यालय से वहां के संस्था प्रधान ने प्रधानाचार्य ने इन्हें बच्चों की देखरेख हेतु भेजा था पर लापरवाह शारीरिक शिक्षक इन बच्चों को पता नहीं किसके भरोसे छोड़ कर गए और बच्चे भूख और प्यास से व्याकुल इधर-उधर भटकते नजर आए ऐसे में कितने ही बच्चों के पास जब में ₹10 तक भी नहीं थे जो कि कम से कम इंदिरा रसोई पर खाना तो खा ले जिसकी शिकायत कस्बे वासियों ने अधिकारियों तक भी पहुंचाई पर बच्चों के साथ यह खिलवाड़ चला रहा इन शारीरिक शिक्षकों को तनिक लाज नहीं की भूख और प्यास से व्याकुल खिलाड़ी कैसे खेल में अपनी दमखम दिखा पाएगा अब देखना यह है इन लापरवाह शारीरिक शिक्षा को के खिलाफ क्या शासन प्रशासन कार्रवाई कर पता है या यूं ही हाथ पैर हाथ धर के बैठना ही पड़ेगा इस तरह इन शारीरिक शिक्षकों का ढर्रा चलता रहा तो आगामी खेलकूद प्रतियोगिता में खिलाड़ी कैसे भाग ले पाएंगे ।