समेकित कृषि प्रणाली से पशुपालक़ बढ़ायें आर्थिक़ सुदृढ़ता
रायसिंहनगर (संजय बिश्नोई) पशु विज्ञान केंद्र, लूंकरणसर क़ा निरीक्षण करते हुए प्रो. आर के धुडिया, निदेशक प्रसार शिक्षा राजुवास ने बताया कि पशुपालकों आर्थिक़ सुदृदता हेतू समेकित कृषि प्रणाली एक बेहतर विकल्प साबित हो सकता है। प्रो. धुडिया ने बताया कि इस कृषि प्रणाली में बकरी पालन, मुर्गीपालन, क़ेचुआ खाद, अजोला एवं नेपियर आदि की प्रदर्शन इकाइयाँ स्थापित की जायेंगी। प्रो.धूडिया के अनुसार समेकित कृषि प्रणाली में एक घटक का अवशिष्ट दूसरे घटक द्वारा उपयोग में लिया जाता है जिससे रासायनिक खादों एंव अन्य रासायनिक पदार्थों पर हमारी निर्भरता कम हो जाती है तथा भूमि व पर्यावरण का सरंक्षण लम्बे समय तक होता रहता है । केन्द्र के भ्रमण कै दौरान श्री रमेश तांबिया, डी डी एम नाबार्ड ने बताया कि समेकित कृषि प्रणाली के प्रचार प्रसार के लिए भारत सरकार काफ़ी प्रयत्नशील है जिसमें छोटे एंव भूमिहीन किसान अपने छोटे आकार वाले जोत पर इसे स्थापित कर सकते है। श्री तांबिया ने बताया कि प्रति हेक्टेयर भूमि से अधिक से अधिक उत्पादन प्राप्त करना, संसाधनों का बेहतर उपयोग, छोटे किसानो की आमदनी में इज़ाफ़ा एंव फसल उत्पादन के साथ पशुपालन को भढावा देने के उद्देश्य से इस परीयोजना को नाबार्ड एंव राजूवास के संयुक्त तत्वाधान में स्थापित किया जाता है ।