जैविक खेती से मौसमी संतरा और मेथी से हो रही है कमाई
रासायनिक दवा से आंखें हुई खराब तो जैविक खेती पर किया फोक्स
मुंडावर (देवराज मीणा ) खैरथल तिजारा। खेती में नवाचार कर कोटकासिम के समीप मांघा का माजरा गाँव के जागरूक किसान अजय पुत्र विजय सिंह ने अपने क्षेत्र में नई पहचान बनाई हैं। इन्होंने खेतों में पहले रासायनिक दवाओं का प्रयोग खेतों में किया तो आंखें खराब होने लगी। आंखें ठीक करवा कर उन्होंने जैविक खेती की और कदम बढ़ाया। उनका दावा हैं वह अपने क्षेत्र के एक मात्र किसान हैं जो पिछले 7 सालों से जैविक खेती कर रहे हैं और अन्य किसानों के लिए प्रेरणा स्रोत बने हुये हैं। क्षेत्र के उपखंड अधिकारी ने इनको खेती में किये नवाचार कार्य के लिए पिछले माह में सम्मानित किया गया है। जैविक खेती के लिए केंचुआ खाद, हरी खाद आदि का प्रयोग करते हैं।
ये खाद भी स्वयं ही तैयार करते हैं। वह बताते हैं की खेती उनका परंपरागत काम है, लेकिन खेतों में रसायन युक्त खाद डालने और रसायन दावों के छिड़काव करने से मेरी आंखें खराब होने लगी और मैं बीमार रहने लगा तथा मुझे चिकित्साओं ने बताया कि रसायन खाद से पैदा अन्य व दवाओं के उपयोग से बीमारियां हो रही हैं। तभी से मैंने खेतों में रसायन डालना बंद कर दिया। फिर मुझे जानकारी मिली की जैविक खेती से कोई नुकसान नहीं होता, लेकिन मुझे जैविक खेती की जानकारी देने वाला कोई नहीं था। मेरे क्षेत्र में कोई भी जैविक खेती नहीं करता था. इस लिए में जयपुर गया वहाँ जाकर जैविक खेती का प्रशिक्षण जानकारी ली। जैविक खेती को सीखने का जुनून इतना था कि मैं प्रशिक्षण लेने के लिए पैसा खर्च कर दिया शुरुआत के तीन-चार साल तक मुझे इनका लाभ समझ नहीं आया, लेकिन हर नहीं मानी। वहीं वर्तमान में 7 बीघा में संतरा, अनार,नींबू, व बेल के पेड़ लगाए। उसके बाद अन्य फसलों की तरफ कदम बढ़ाया। आज वह किसान जैविक खेती करके काफी खुशहाल है।