मंदिर माफी की भूमि- कुछ शाश्वत सत्य :- रिटायर्ड तहसीलदार
माफी मंदिर की भूमि लगभग सभी ग्रामों में कमोबेश मात्रा में स्थित है। माफी मंदिर की खातेदारी भूमियों पर अन्य किसान काबिज हैं जिन्हें न तो भूमि को बंधक रखकर ऋण मिलता है न रूपांतरण करवा पाते हैं तथा न ही बेचान किया जा सकता है।आईये मंदिर माफी की भूमियों बाबत कुछ कानून कायदों पर विचार करें-
- 1.राजस्थान काश्तकारी अधिनियम 1955 की धारा 45 के अनुसार किसी भूमि धारी द्वारा अपनी खातेदारी भूमि को उप पट्टे पर देने का प्रावधान नहीं है किंतु धारा 46 में कुछ अपवाद दिए गए हैं जिसके अनुसार एक अवयस्क व्यक्ति अपनी भूमि को उप पट्टे पर दे सकता है।उप पट्टेदार को खातेदारी अधिकार प्राप्त नहीं हो सकते। मंदिर मूर्ति को शाश्वत अवयस्क (नाबालिग) घोषित किया गया है अतः मंदिर माफी की भूमि काश्त पर तो दी जा सकती है किंतु उस भूमि पर खातेदारी अधिकार प्राप्त नहीं हो सकते।
- 2.प्राय: यह देखने में आया है कि माफी मंदिर की कुछ भूमियों को राजस्व/ सेटलमेंट विभाग द्वारा निजी व्यक्तियों की खातिरदारी में अंकित कर दिया गया है जिनके प्रकरण तैयार कर पुनः माफी मंदिर के नाम दर्ज किए जाने की सतत प्रक्रिया चलती रहती है।
- 3.माफी मंदिर की भूमि का पंजीकृत पुजारी उस भूमि को केवल काश्त कर सकता है व भोग राशि प्राप्त कर सकता है।
- 4.माफी मंदिर की भूमि में यदि कुआं/ नलकूप बना है तो उस पर बिजली कनेक्शन प्राप्त किया जा सकता है कनेक्शन के लिए उपखंड अधिकारी की अध्यक्षता में एक कमेटी बनी हुई है जिसमें देवस्थान विभाग का प्रतिनिधि बिजली बोर्ड का प्रतिनिधि तहसीलदार आदि उसके सदस्य होते हैं मंदिर की कृषि आय बढ़ाने व देखभाल करने हेतु मंदिर का पुजारी जो नेक्स्ट फ्रेंड होता है वह बिजली कनेक्शन हेतु आवेदन कर सकता है। कनेक्शन मंदिर मूर्ति के नाम ही जारी किया जाएगा।