बेईमानों के बीच एक ईमानदार भी निकला, थानाप्रभारी के मार्फ़त लौटाए हजारों रुपए
गरीब युवक ने बेईमानों को दी सीख, रुपए मिलने से मजदूर आदमी के खुशी से छलक गए आंसू
अलवर,राजस्थान / राजीव श्रीवास्तव
खेडली। असल में कॉन्फिडेंस के साथ कह सकते है कि अभी भी बेईमानों के बीच ईमानदार लोग भी अवश्य रहते है।मौका मिलने पर ये ईमानदार लोग अपनी ईमानदारी का परिचय देकर बेईमानों को लज्जित कर ईमानदारी के रास्ते पर चलने की सीख देकर फरेबी दुनियां को अचानक चौका देते है।कोई व्यक्ति गरीबी में भी ईमानदारी के साथ रहकर अपना ईमान नहीं बेचे तो उस व्यक्ति की ईमानदारी काबिले तारीफ ही कहलाएगी लेकिन कमबख्त ऐसे लोग बिरले ही मिलते है।
जिले के सोंखरी गांव निवासी वीरेंद्र पुत्र रामबाबू धोबी ने गोविन्दगढ़ थाने के समीप ही अपनी दुकान खोल रखी है।कल उसकी दुकान पर सोंखर गांव निवासी मजदूर मुकेश पुत्र किशन जोगी आया और अपनी दो चार कपड़ों की जोड़ी प्रेस के लिए देकर चला गया।दूसरी तरफ वीरेंद्र धोबी जब कपड़ों पर प्रेस करने लगा तो उसे मजदूर की पेंट की जेब में कुछ होने का अहसास हुआ।वीरेंद्र को जेब में 13 हजार 200 रुपए मिले।दिनभर मेहनत के बाद दो-तीन सौ रुपए कमाने वाले वीरेंद्र हजारों रुपए देख कुछ देर के लिए खामोश हो गया।मानों उसके दिल- दिमाग में काफी उथल-पुथल चल रही थी लेकिन उसने अंतिम निर्णय लेते हुए मन ही मन मान लिया कि यह अमानत वाकई उसकी नहीं बल्कि उस मजदूर मुकेश की है जिसने अपने परिवार के लिए मजदूरी कर दीपावली की खातिर जोड़े है।
वीरेंद्र खेड़ली थानाप्रभारी हनुमान सहाय के पास पहुंचता है और रुपए मिलने की जानकारी देकर लौटने की इच्छा जाहिर करता है।थानाप्रभारी हनुमान सहाय ने भी वीरेंद्र की ईमानदारी पर उसे और मोटिवेट किया।थानाप्रभारी ने मुकेश को थाने बुलाया।वीरेंद्र ने थानाप्रभारी के सामने मुकेश को रुपए लौटकर बेईमानों के तमाचा जड़ उन्हें ईमानदारी के रास्ते पर चलने की सीख देकर शायद इतिहास रच दिया।
उल्लेखनीय है कि मुकेश को थाने पहुंचने तक भी यह मालूम नहीं था कि उसके हजारों रुपए गुम हो गए है।जब उसे रुपए दिए गए तो उसे याद आया कि उसने दीपावली की खातिर मजदूरी के रुपए जोड़ कर उसी पेंट में रखें थे जिस पेंट को वह प्रेस कराने के लिए वीरेंद्र को देकर आया था।मुकेश अपने नोटों को देखकर कुछ देर के लिए कन्फ्यूज हो गया।उसे लग रहा था कि क्या आज भी गरीबी में भी रहकर कोई व्यक्ति अपने ईमान पर डटा हुआ है।आखिर खुशी से मुकेश की आंखे भर आईं।
उल्लेखनीय है कि यह वही पुलिस है जिस पर मौका मिलने पर शायद मुर्दों की भी जेब टटोलने और सट्टे-जुए में जब्त की गई राशि मे भी हेरफेर करने के आरोप लगते रहते है लेकिन यहाँ थानाप्रभारी का वीरेंद्र को मोटिवेट करना भी काबिले तारीफ ही कहा जाएगा।