संतान की दीर्घायु के लिए 5 नवंबर को रखेंगी माताएं अहोई अष्टमी व्रत
लक्ष्मणगढ़ (अलवर/ कमलेश जैन)
अहोई अष्टमी हिंदू समुदाय की माताओं के लिए गहरा सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व रखती है। अहोई अष्टमी का व्रत माताएं अपने बच्चों की भलाई और लंबी उम्र के लिए देवी अहोई माता का आशीर्वाद और सुरक्षा पाने के लिए करती हैं। अहोई अष्टमी एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है जो बच्चों की तरक्की और दीर्घायु के लिए देवी अहोई या अहोई माता का आशीर्वाद पाने के लिए मनाया जाता है। इसे माताएं बड़ी श्रद्धा और प्रेम से मनाती हैं। अहोई अष्टमी हिंदू कैलेंडर के अनुसार कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को है। यह दिन अत्यधिक महत्व रखता है क्योंकि माताएं देवी का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए विशेष अनुष्ठान, उपवास और प्रार्थना करती हैं। अहोई अष्टमी हिंदू समुदाय,मे ऐसा माना जाता है कि देवी बच्चों के स्वास्थ्य, खुशी और समृद्धि की रक्षा करती हैं, उनकी वृद्धि और विकास सुनिश्चित करती हैं। अहोई अष्टमी का त्योहार एक माँ और उसके बच्चे के बीच के गहरे रिश्ते के बारे में है। माताएं अपने बच्चों के कल्याण के लिए अपने गहरे प्यार, भक्ति और प्रतिबद्धता को व्यक्त करने के लिए कठोर व्रत रखती हैं, अनुष्ठान करती हैं और व्रत कथा सुनती हैं।
अहोई अष्टमी परिवारों और समुदायों को एक साथ लाती है क्योंकि वे उत्सव में शामिल होते हैं। माताएं अपने अनुभव साझा करती हैं, आशीर्वाद का आदान-प्रदान करती हैं और एक-दूसरे का समर्थन करती हैं। यह त्योहार समुदाय के सदस्यों के बीच एकता, सौहार्द और आपसी सम्मान की भावना को बढ़ावा देता है। अहोई अष्टमी 2023: तिथि और समय तिथि: 2023 में अहोई अष्टमी रविवार, 5 नवंबर को मनाई जाएगी। अष्टमी तिथि का समय- 05 नवंबर, दोपहर 1:00 बजे से शुरू होकर 06 नवंबर, सुबह 3:18 बजे तक अहोई अष्टमी पूजा मुहूर्त- 05 नवंबर शाम 5:42 बजे से शुरू है