रैणी उपखंड क्षेत्र के ग्राम गढ़ीसवाईराम के मिट्टी के दीपकों से भी रोशन होगी अयोध्या नगरी
राजगढ़ (अलवर) अनिल गुप्ता
अयोध्या मे 22 जनवरी को नवनिर्मित मंदिर मे रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होने जा रही ही। वहीं अयोध्या नगरी को दुल्हन की तरह सजाया जा रहा है। उसी कड़ी मे जब हम रोशनी से लदकद अयोध्या नगरी की कल्पना करे तो बिजली के बल्बो से हट कर दीपावली जैसी जगमगाहट की बात करें तो मिट्टी के दीपकों झिलमिलाहट अलग ही सुकून सा देती है।
अयोध्या नगरी की सजावट मे इस बार अलवर जिले के रैणी उपखंड क्षेत्र के ग्राम गढ़ीसवाईराम मे बनने वाले दीयो की भी भागीदारी होगी। इस जानकारी के लिए गढ़ीसवाईराम निवासी कुंभकार रमेश प्रजापत देबीसहाय,जगदीश और विनोद प्रजापत से बात की गई।
उन्होंने बताया कि वे चारो भाई उनकी पत्नी व बच्चे सभी काफी समय से मिट्टी के दीपक बनाने मे लगे हुए है। वो पूरा परीवार दिन भर मे लगभग तीस हजार दिये बनाता है। और तीन से चार दिन मे एक पिकअप गाड़ी दिये भर कर दिल्ली और फरीदाबाद भेज रहे है। दिल्ली मे इन दीपकों में मोम भर कर मोडीफाई किया जाता है उसके बाद मांग के अनुसार मुम्बई, कलकत्ता,बनारस जैसे महा नगरो मे भेजा जाता था अब अयोध्या भेजा जा रहा है।
एक लाख दिये बनाने मे लगभग तीन हजार का खर्च
कुंमभकार रमेश और देबीसहाय बताते है कि एक लाख दिये बनाने मे चिकनी मिट्टी, बनाने मे विधुत खर्च, रंगाई व पकाई सहित लगभग तीन हजार का खर्च आता है। और चालीस पैसे का एक दिया थोक की रेट मे बिकता है।
दिये बनाने के लिए चार चाक, पकाई दो दिन मे
रमेश बताते है कि घर मे दिये बनाने के लिए विद्युत चलित चार चाक लगा रखे है। जिनसे एक दिन मे तीस हजार दिये तैयार करते है। दिये सूखने के बाद भट्टी मे उन्हे पकाया जाता है जो कि लगभग दो दिन मे तीस हजार दिये पक कर तैयार हो जाते है। और महिने भर मे लगभग दो से तीन लाख रूपये चारो भाई दिये बना कर कमा लेते है।
फरीदाबाद और दिल्ली के व्यापारी यहीं से खरीद ले जाते है।गढ़ीसवाईराम से एक पिकअप गाड़ी भर कर ले जाने मे और दिल्ली व फरीदाबाद पहुॅचाने मे उन्हे बीस से तीस हजार रूपये की आय हो जाती है।