10 फरवरी से शुरू हो रहे हैं गुप्त नवरात्र
हिंदू पंचांग के अनुसार हर साल चार बार नवरात्र मनाए जाते हैं जिसमें चैत्र और आश्विन माह (शारदीय नवरात्र) में प्रकट नवरात्र मनाई जाती है। वहीं माघ और आषाढ़ माह में गुप्त नवरात्र मनाई जाती हैं।
योग शिक्षक पंडित लोकेश कुमार ने बताया कि मान्यताओं के अनुसार गुप्त नवरात्र में मां दुर्गा की पूजा-अर्चना करने से साधक को सभी कष्टों से मुक्ति मिल सकती है। सनातन धर्म में नवरात्र के समय में मां दुर्गा के नौ अलग-अलग रूपों की आराधना कर उनका आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है। इस दौरान दस महाविद्याओं की पूजा-अर्चना गुप्त तरीके से की जाती है।
शुभ मुहूर्त - माघ मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से गुप्त नवरात्र की शुरुआत मानी जाती है। पंचांग के अनुसार, साल 2024 में माघ गुप्त नवरात्रि की शुरुआत 10 फरवरी, शनिवार के दिन से हो रही है। वहीं, 18 फरवरी, रविवार के दिन इसका समापन होगा।
घट स्थापना का मुहूर्त - 10 फरवरी, सुबह 08 बजकर 45 मिनट से सुबह 10 बजकर 10 मिनट तक
घटस्थापना अभिजीत मुहूर्त - 10 फरवरी, दोपहर 12 बजकर 13 मिनट से 12 बजकर 58 मिनट तक
दस महाविद्याएं - गुप्त नवरात्र के दौरान दस महाविद्या की पूजा का विधान है। ये 10 महाविद्याएं मां दुर्गा के ही रूप हैं। माना जाता है कि इनकी आराधना करने से साधक की सिद्धि पूरी होती है। काली तारा, छिन्नमस्ता, षोडशी, भुवनेश्वरी, त्रिपुर, भैरवी, धूमावती, बगलामुखी, मातंगी, कमला
माघ माह की गुप्त नवरात्र के दौरान मुख्य रूप से नो दिनों में दस महाविद्याओं की पूजा-अर्चना की जाती है। इस पूजा को तंत्र-मंत्र की साधना के लिए खास माना जाता है। इसलिए यह पूजा अधिकतर अघोरियों द्वारा की जाती है। माना जाता है कि इस पूजा अनुष्ठान को जिनता गुप्त रखा जाता है। साधक की मनोकामनाएं भी उतनी ही जल्दी पूरी होती हैं। यही कारण है कि इस नवरात्र को गुप्त नवरात्र भी कहा जाता है। इन नो दिनों में अखंड दीप जलाया जाता है।