पूर्व तहसीलदार सैनी ने बताए भूमि खाता विभाजन कुछ उपयोगी सुझाव, जाने प्रक्रिया.
1:आपसी सहमति के आधार पर-- किसान भाइयों राजस्व अदालतों में ज्यादातर मुकदमे खाता विभाजन के ही चल रहे हैं, राज्य सरकार द्वारा लगभग हर वर्ष राजस्व अभियान चलाए जाते हैं, जहां सभी सह- खातेदारों को बुलाकर उसी दिन पूरी प्रक्रिया पूर्ण कर ली जाती है।यह संभव नहीं हो तो जब सभी सह खातेदार किसी अवसर पर घर पर उपस्थित हों तो यह भी सुनहरा मौका होता है सभी को तहसीलदार के समक्ष उपस्थित होकर खाता विभाजन कर लेना चाहिए। इसके लिए वर्तमान की जमाबंदी व नक्शा की प्रति की आवश्यकता होती है पटवारी को मौका मुआयना करवा कर मौके की स्थिति के अनुसार नक्शे में अंकित करवाना होता है. खाता विभाजन सहमति के अनुसार अनुबंध जो निर्धारित है पूर्ण कर पटवारी गिरदावर सभी सह खातेदार व दो गवाहों के हस्ताक्षर करवाने होते हैं. प्रत्येक हिस्सेदार की भूमि में पहुंचने का रास्ता शामिल में काटा जावेगा. तहसीलदार के सामने उपस्थित होने पर वह खाता विभाजन का अनुबंध मंजूर कर पटवारी को रिकॉर्ड में अंकन करने हेतु भेज देगा. किसी के भी हिस्से में भूमि कम या अधिक आने पर कोई प्रतिबंध नहीं है.
2:न्यायालय में वाद के आधार पर- यदि सभी सह खातेदार सहमत नहीं है या भिन्न-भिन्न स्थानों पर निवास करते हैं तो एक या अधिक पक्षकार उपखंड अधिकारी के न्यायालय में खाता विभाजन का दावा प्रस्तुत करें शेष सह खातेदारों को पक्षकार बनाया जाएगा।सभी पक्षकारों का सही पता दावा में अंकित करें ताकि कोई भी नोटिस गलतपते के कारण बिना तामिल नहीं लौटे, इसमें समय की बचत होती है। उपखंड अधिकारी द्वारा सभी पक्षकारों को नोटिस जारी कर दावे की एक प्रति भिजवाकर जवाब मांगा जावेगा। प्रतिपक्षकारों व पक्षकारों के बयान गवाहों के बयान आदि के आधार पर उपखंड अधिकारी प्राथमिक डिक्री जारी कर तहसीलदार से डिक्री की पालना करने का आदेश देगा।तहसीलदार मौके पर उपस्थित होकर संबंधित समस्त पक्षकारों की उपस्थिति में जांच करेगा यदि मौके पर पहले से ही भूमि बंटी हुई है तो उसके अनुसार व यदि बंटी हुई नहीं है तो सभी की सहमति से भूमि का बंटवारा कर तदनुसार प्रस्ताव तैयार करेगा जिसमें रास्ता सभी के हिस्से तक दिया जाएगा व नक्शे में अंकित किया जावेगा। प्रस्ताव पर सभी के हस्ताक्षर करवाए जाकर उपखंड अधिकारी को भेजा जाता है।
उपखंड अधिकारी के न्यायालय में प्राथमिक डिक्री की पालना प्राप्त होने पर एक बार पुनः पक्षकारों को सुना जाकर अंतिम डिक्री जारी की जाती है और पालनार्थ तहसीलदार के यहां भिजवाई जाती है, तहसीलदार अंतिम डिक्री के आधार पर रिकॉर्ड में अमल करायेगा। मेरा सभी किसान भाइयों से अनुरोध है कि यदि कहीं विवाद की स्थिति हो तो मिल बैठकर शंका समाधान कर लेना चाहिए. अन्यथा तो राजस्व विभाग में पीढ़ी दर पीढ़ी मुकदमों में फंसे रहो धन व समय की बर्बादी के साथ ही सामाजिक सौहार्द खराब होता रहेगा।
लेखक मंगल चंद सैनी पूर्व तहसीलदार