रूपारेल पहले बनी नदी से नाला और अब बन गई डायन
राजस्थान राज्य में थानागाजी उपखण्ड क्षेत्र के उदय नाथ जी के पहाड़ों से निकलने वाली रूपारेल नदी भू एवं जल संरक्षण के नाम पर जगह जगह बनाए गए अवरोधों के चलते हुए नदी से नाले में तब्दील हो चुकी है। ऐतिहासिक महत्व रखने वाली इस नदी का उद्गम स्थल उदय नाथ जी के पहाड़ों से बहने वालें छोटे छोटे नाले मानें जातें हैं। लेकिन यह नदी अब बढ़ते अवरोधों के चलते भृतहरी तिराहे तक नदी नहीं रहकर नाले के रूप में तब्दील होने के साथ ही नदी स्वरूप को बदल कर डायन बन गई है। इसमें रहने वाले जीव जंतु पर संकट गहराने लगा है। थानागाजी नगर पालिका का संपूर्ण अपशिष्ट , मल - मूत्र, जहरीला पानी व मृत मवेशी सभी नदी में डाले जा रहे हैं, नदी के इस दृश्य को देखकर आसपास के सभी नदी प्रेमी , प्रकृति एवं पर्यावरण प्रेमियों में आक्रोश पैदा है जिसके चलते बाबा मौज नाथ एकेडमी के निदेशक गोविंद राम कुमावत द्वारा नदी का अवलोकन किया गया , अवलोकन के तहत नदी के किनारे किनारे नगर पालिका क्षेत्र में आने वाले इस संपूर्ण नदी पर जगह-जगह कचरे के ढेर पॉलिथीन के ढेर अपशिष्ट वह मृत जानवर पाए गए, नदी की यह हालत देखकर आम आदमी के रोंगटे खड़े हो रहे हैं, नदी के आसपास छोटे-छोटे नालों से जो पानी बहकर आ रहा है वह पानी जैसे ही नदी में आता है उसके साथ में मृत मवेशियों, अपशिष्टओ के साथ जीवांश बह कर वाह इस पानी के अंदर बह कर बाघ परियोजना क्षेत्र में पूछता हैं , जहां वन्यजीवों, पशु , पक्षियों द्वारा अपनी प्यास बुझाने के लिए इसको काम लिया जाता है जो जीवामृत ने होकर जहर है। लेकिन उन जंतु, पक्षियों, वन्यजीवों को यह मालूम नहीं कि ये हमारे प्राण ले लेगा ।
वन्य जीवों के प्राणों व नदी की स्वच्छता को लेकर कार्य कर रहे एल पी एस विकास संस्थान के निदेशक व प्रकृति प्रेमी राम भरोस मीणा ने पिछले चार सालों से सम्बंधित विभागों, नगरपालिका व स्थानिय प्रशासन को अवगत कराने के साथ ही नदी की स्वच्छता व सुरक्षा की मांग करते आ रहे हैं लेकिन नगरपालिका प्रशासन द्वारा इस तरफ किसी प्रकार की कार्यवाही नहीं करने के साथ ही स्वयं यहां कचरा व मृत मवेशी डालने लगे हैं जो पर्यावरण, नदी व वन्य जीवों के साथ साथ आम जन के लिए सबसे बड़ा खतरा है।