पर्याप्त चौड़ाई का रास्ता हो तब ही होती है खेत की कीमत - मंगल चंद सैनी
किसानों के मध्य रास्ते से संबंधित अनेक प्रकरण विभिन्न न्यायालयों में चल रहे हैं कई बार फौजदारी मुकदमे तक हो जाते हैं एवं समाज में सौहार्द खराब हो जाता है। रास्तों के संबंध में काश्तकारी अधिनियम में दो प्रावधान है-
1.धारा 251 सुखाचार
यदि आवागमन हेतु रास्ता पहले से प्रचलन में था या नक्शे में डॉटेड लाइन से अंकित है या नहीं भी है यदि उसे अवरुद्ध कर दिया जाता है तो खुलवाने हेतु धारा 251 के अंतर्गत तहसीलदार को आवेदन देना होता है। तहसीलदार द्वारा संबंधित को नोटिस दिया जाएगा और मौका जांच कराई जावेगी। आवेदन पत्र के तथ्य सही पाए जाने पर रास्ता खुलवाया जावेगा, यदि कोई रुकावट डालता है तो पुलिस मदद ली जाएगी। रास्ता अमूमन 8 फीट चौड़ाई तक खोला जावेगा। इसी प्रकार यदि अपने खेत की सिंचाई हेतु पाइप लाइन डालनी हो और कोई व्यवधान उत्पन्न कर तो तहसीलदार को अधिकार है कि पाइपलाइन डलवाए पाइप 3 फीट गहरी डाली जावेगी। सुखाचार के लिए सिविल न्यायालय में भी आवेदन किया जा सकता है।
2. धारा 251 ए
यदि किसान के खेत में जाने का रास्ता नहीं है और यदि है तो पर्याप्त नहीं है तो इस धारा के तहत उपखंड अधिकारी के यहां प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया जाएगा। पक्षकारों की सुनवाई व तहसीलदार की जांच प्राप्त की जाएगी। मुख्य मार्ग से शुरू होकर किसान के खेत तक सबसे नजदीक दूरी का रास्ता दिया जाएगा। केवल एक ही रास्ता दिया जाएगा। रास्ता 30 फीट चौड़ाई तक दिया जा सकेगा। जिस खातेदार की भूमि में से होकर रास्ता दिया जा रहा है प्रत्येक खसरा नंबर में से कितना क्षेत्रफल रास्ते में जा रहा है का आकलन किया जाएगा। रास्ते में जाने वाली भूमि के क्षेत्रफल की डीएलसी दर के दुगुना शुल्क आवेदक से जमा किया जाकर जिनकी भूमि रास्ते में जा रही है उन्हें भुगतान किया जावेगा। तहसीलदार मौके पर रास्ता चिन्हित कर नक्शे में कटान अंकित कर जमाबंदी में राजकीय रास्ते के रूप में अंकित करेगा।
धारा 251 में 45 दिन में व धारा 251 ए में 90 दिन में निर्णय करना होगा।
यदि कोई किसान स्वेच्छा से रास्ता देना चाहे तो भूमि सरकार को समर्पण करनी होगी। लंबी दूरी के रास्ते जो कटान में नहीं है और उनमें अनेक खातेदार हैं तो सभी खातेदार उपस्थित होकर रास्ते हेतु अपनी भूमि राज्य सरकार के हक में समर्पण करने पर भी वह रास्ता नक्शे में अंकित किया जा सकता है। रास्ते हेतु भूमि का समर्पण प्राप्त करने का अधिकार भूमिधारी की हैसियत से तहसीलदार को प्राप्त है।
- सुमेरसिंह राव