चारागाह भूमि एवं पंचायती राज विभाग की संपत्तियों को खाली कराने के दिए सरकार ने आदेश
लक्ष्मणगढ़ (अलवर) पंचायत राज मंत्री द्वारा चारागाह भूमि एवं पंचायती राज विभाग की संपत्तियों से अतिक्रमण हटाए जाने के संबंध में जिला परिषद अलवर को आदेशित किया गया है। जिसमें मेवात क्षेत्र के लक्ष्मणगढ़ रामगढ़ तिजारा मुंडावर किशनगढ़ बास कठूमर कोट कासिम गोविंदगढ़ उमरेन मालाखेड़ा पंचायत समितियां को आदेशित किया गया है। एवं आदेशित पत्र में तुरंत कब्जे से मुक्त करवा कर पालना रिपोर्ट अभिलंब भिजवाएं जाने के आदेश प्रसारित किए हैं। समाजसेवी वरिष्ठ नागरीक विरेंद्र कोठारी ने बताया कि पंचायत समिति क्षेत्र में ग्राम पंचायत प्रशासन सहित राजस्व विभाग की अनदेखी के कारण अतिक्रमण कारीयो के होसले बुलंद होते जा रहे है। सार्वजनिक तालाब हो या चारागाह भूमि विभाग की जमीन हो चाहे सरकारी कॉलोनी की आवंटित जगह को लोग अतिक्रमण करने में जुटे हुए हैं। चारागाह भूमि पर हो रहे अतिक्रमण कस्बे सहित पंचायत समिति क्षेत्र में ग्राम पंचायत प्रशासन सहित राजस्व विभाग की उदासीनता के कारण दिनों दिन अति कृमियों की संख्या में इजाफा हो रहा है। बांध के डूब क्षेत्र में आ रही भूमि सहित चारागाह भूमि पर लोग रोजाना अतिक्रमण कर लोगों ने बाड़े तो कई लोग खेत बनाकर कब्जा कर रहे है। जिसकी जानकारी राजस्व विभाग के अधिकारियों व हल्का पटवारी सहित प्रशासन को होने के बाद भी नजर अंदाज किया जा रहा है। लक्ष्मणगढ़ कस्बे की जागरूक वरिष्ठ नागरिक वीरेंद्र कोठारी जितेंद्र प्रसाद शर्मा अशोक गाबा गंगा लहरी प्रजापत सतीश बसवाल जैकी खंडेलवाल ने बताया कि जिससे लोगों में नाराजगी बनी हुई है।
लक्ष्मणगढ़ तहसील क्षेत्र की बात करें तो राजस्थान की सबसे पुरानी एवं बड़ी तहसील होने का गौरव प्राप्त था। तहसील क्षेत्र के अंतर्गत 300 गांव तहसील अंतर्गत हुआ करते थे । जिले के क्षेत्र में जगह-जगह तहसील एवं उप तहसील बन जाने से यह लक्ष्मणगढ़ तहसील अब छोटी रह गई है। प्रशासनिक व्यवस्थाओं और राजनीतिक अनदेखी के कारण क्षेत्र की अत्यधिक दुर्दशा हो गई है ।अतिकृमियों भूमाफियाओं को राजनीतिक वर्धस्त का ग्रहण चारागाह भूमि पर भी पड़ा हुआ है। लक्ष्मणगढ़ तहसील में कुल 84 गाव करीब 740 हेक्टर 2960 बीघा गोचर भूमि तहसील क्षेत्र लक्ष्मणगढ़ में स्थित चारागाह भूमि पर भू माफियाओं द्वारा प्रशासन से मिली भगत कर अतिक्रमण किए गए हैं। अतिक्रमण हटाने के संबंध में राज्य सरकार के स्तर पर व्यापक प्रावधान होने के बावजूद प्रशासन द्वारा अतिक्रमण हटाने के नाम पर मात्र कागजी खानापूर्ति की जाती रही है। मौके पर लोगों द्वारा कृषि और गोचर भूमि पर अतिक्रमण कर लिया हैं। लक्ष्मणगढ़ मुख्यालय में करीब99 बीघा भूमि चारागाह के राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज है। जिस पर प्रशासन की अनदेखी के चलते निर्माण कार्य एवं फसल उगाने का कार्य वर्तमान में जारी है। राजस्व कार्मिक एवं अधिकारी केवल कागजी खानापूर्ति की कार्रवाई कर ठंडा बस्ते में डाल देते । जबकि कुल 24.68 45हेक्टर भूमि करीब आज भी अतिकृमियों के कब्जे में बनी हुई है। तहसील लक्ष्मणगढ़ गोविंदगढ़ के अलग तहसील स्वीकृत होने से पूर्व लगभग 3000 बीघा भूमि पर प्रशासन की अनदेखी के चलते अतिक्रमण किया हुआ है। सरकार द्वारा चारागाह एवं प्रबंधन हेतु राज्य सरकार प्रतिवर्ष विभिन्न मद्दों में राशि भी आवंटित करती है। राजस्व विभाग द्वारा मौके पर हटाए गए अतिक्रमण चारागाह के विकास हेतु चारागाह भूमि की बाउंड्री निर्माण एवं प्रत्येक खसरे की स्थिति मौके जनित एवं पशुधन की रक्षा आवश्यक होनी चाहिए। अतिकृमियों एवं राजस्व विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों एवं कर्मचारियों के विरुद्ध नियम अनुसार कार्यवाही होनी चाहिए। जो आज तक नहीं हुई है। चारागाह भूमियों पर अनदेखी के चलते अतिक्रमण होने के कारण आपसी लड़ाई झगड़ा सड़कों पर गंदगी के ढेर पानी निकासी के रास्तों के ऊपर अतिक्रमण होने के कारण इनका अवरुद्ध होना एवं भयंकर बीमारियों का उत्पन्न होना मुख्य कारण बन जाता है। चारागाह भूमियों पर यदि सख्त कदम नहीं उठाए गए तो लक्ष्मणगढ़ तहसील के साथ-साथ अलवर जिले एवं संपूर्ण प्रदेश में विकसित भारत के संकल्प की संरक्षा पूर्ण नहीं हो सकेगी गोविंदगढ़ तहसील के अलग होने की स्थिति में चारागाह भूमि का विवरण....
लक्ष्मणगढ़ सौराई 20 गांव 112 हेक्टर
खुडियाना 20 गांव 106 हेक्टर
मौजपुर खौहरा मलावली 21 गांव 243 हेक्टर
बिचगांवा झालाटाला 19 गांव 272 हेक्टर
बड़ौदामेंव दीनार गांव 4 हेक्टर
जावली मौलिया 3 गांव 3 हेक्टर
कुल योग ... तहसील क्षेत्र की 740 हेक्टर यानि 2960 बीघा चारागाह भूमि स्थित है। अब देखना यह है कि राज्य सरकार के आदेशों की अनुपालन में प्रशासन द्वारा क्या कार्रवाई की जाती है?
- कमलेश जैन