8 और 9 दोनों तिथियों पर रहेगा सूर्य ग्रहण का प्रभाव, चैत्र नवरात्रि में कलश स्थापना से पूर्व करें यह काम
लक्ष्मणगढ़ (अलवर ) इस बार सूर्य ग्रहण शुरू तो 8 अप्रैल को होगा, लेकिन समाप्त 9 अप्रैल की तिथि में होगा। ऐसे में 8 और 9 दोनों ही तिथियों पर ग्रहण का प्रभाव रहेगा। 9 अप्रैल को सुबह से ही चैत्र नवरात्रि की शुरुआत होगी और भक्त कलश स्थापना करेंगे।
चंद्र ग्रहण के बाद अब 2024 का पहला सूर्य ग्रहण लगने जा रहा है। यह सूर्य ग्रहण चैत्र नवरात्रि शुरू होने के ठीक पहले लगेगा। इसलिए इस बार देवी भक्तों को कुछ बातों का खास ध्यान रखना होगा। ज्योतिष शास्त्र में ग्रहण काल को अशुभ माना गया है। लोगों पर इसका प्रभाव नकारात्मक पड़ता है।सूतक काल में मंदिरों के कपाट बंद रहते हैं। इस दौरान पूजा-पाठ वर्जित रहता है।
वहीं, ग्रहण की समाप्ति के बाद मंदिरों में शुद्धिकरण किया जाता है।हालांकि, 2024 का पहला सूर्य ग्रहण भारत में दिखाई नहीं दे गा, इस कारण इसका सूतक काल भी मान्य नहीं रहेगा लेकिन, रात में होने वाले सूर्य ग्रहण के बाद सुबह ही नवरात्रि की पूजा भी होनी है। देवी भक्त पूजा के साथ कलश स्थापना भी करेंगे। ऐसे में कुछ बातों का ध्यान रखना होगा, अन्यथा नवरात्रि की पूजा का फल विफल हो सकता है।
योग शिक्षक पंडित लोकेश कुमार ने बताया कि 2024 का पहला सूर्य ग्रहण 8 अप्रैल की रात्रि को 9 बजकर 12 मिनट को शुरू होगा, जिसका समापन रात्रि 1 बजकर 32 मिनट पर होगा।सूर्य ग्रहण शुरू तो 8 अप्रैल को होगा, लेकिन समाप्त 9 अप्रैल की तिथि में होगा। ऐसे में 8 और 9 दोनों ही तिथियों पर ग्रहण का प्रभाव रहेगा। वहीं 9 अप्रैल की सुबह से ही चैत्र नवरात्रि की शुरुआत होगी और भक्त कलश स्थापना करेंगे। ऐसे में कलश स्थापना से पहले कुछ उपायों का करना जरूरी हो जाता है, ताकि नवरात्रि की पूजा का संपूर्ण फल मिले।
भले ही भारत में सूर्य ग्रहण दिखाई नहीं देगा लेकिन ज्योतिष शास्त्र ग्रहण के प्रभाव को नहीं नकारता। 9 अप्रैल की भोर में ग्रहण की समाप्ति के बाद सुबह चैत्र नवरात्रि के लिए कलश स्थापना होगी।
इसलिए सुबह सबसे पहले गंगाजल से स्नान करें।कलश स्थापना से पहले पूरे घर को गंगाजल से शुद्ध करें। साथ ही कलश के ऊपर भी गंगाजल का छिड़काव करें।भोग में लगाए गए प्रसाद के ऊपर कुश या तुलसी का पत्ता अवश्य चढ़ाएं ऐसा करने से पूजा सफल मानी जाएगी। शुभ फल की प्राप्ति होगी। साथ ही कलश स्थापना शुभ मुहूर्त में ही करें, जिससे माता दुर्गा का आशीर्वाद सदैव जातक के ऊपर बना रहे।
- कमलेश जैन