अणुव्रत परिवार के तत्वाधान में जिला कारागृह राजसमंद में नशा मुक्त कार्यक्रम हुआ आयोजित
राजसमन्द (राजस्थान/ पप्पूलाल कीर) सुधारगृह अणुव्रत अनुशाकर्ता आचार्य श्री महाश्रमण की सुशिष्या साध्वी श्री मंजूयशा जी के पावन सान्निध्य में राजसमन्द जिला काराग्रह में अणुव्रत अनुशास्ता आचार्य श्री तुलसी के 109 वें जन्म दिवस को अणुव्रत दिवस के अन्तर्गत 'नशा मुक्ति "विषय पर कार्यक्रम आयोजित हुआ।
काराग्रह में करीब 198 कैदियों के बीच साध्वी श्री जी ने प्रेरणा दायी विचार प्रस्तुत करते हुए कहा - जीवन के दो पक्ष होते है एक कृष्ण पक्ष यानि अंधकार मय जीवन एवं दूसरा शुक्लपक्ष यानि उजाला भरा जीवन। मनुष्य के भीतर दो प्रकार की वृत्तियां होती है एक दानवीय वृत्ति और एक मानवीय वृत्ति।
जब व्यक्ति में मानवीय वृत्ति होती है तो वह अपनी प्रेम, सौहार्द, अनाग्रह उदारता, प्रामाणिकता सत्यता आदि सद्गुणों से अच्छा जीवन जीकर वह परिवार के लिए समाज के लिए एवं देश के लिए आधार स्तंभ बन जाते है। किन्तु जिसके भीतर दानवीय वृत्ति जागृत होती है तो उसके कारण वह व्यक्ति हिंसा, लूटपाट, चौरी, आगजनी, हत्या आदि अपराधी वृत्तियों को अपनाकर अपने जीवन को अंधकार की ओर ढकेल देता है।
जब अपराध सामने आता है वह कितने कर्मों को भोगता है। कर्म उसे कारागृह में भोगने पड़ते है। कारागृह मे महिनों वर्षो तक अपना याचना भरा जीवन बिताते है। इसके कारण वह अपने परिवार से दूर रहता हुआ आनन्दमय एव सुखमय जीवन से वंचित रहता है। साध्वी श्रीजी ने प्रयोग बताते हुए कहा प्रेक्षा ध्यान, अणुव्रत के छोटे छोटे संकल्प के द्वारा दानवीय वृत्तियो से मानवीय वृत्ति में अपने जीवन को सरस आनन्द एवं सुख शान्तिमय बना सकता है । हर व्यक्ति नशामुक्त बने साध्वी श्रीजी ने उदाहरण बहुत अच्छी तरह से समझाया। साध्वी चिन्मय प्रभा जी, साध्वी चारुप्रभा जी , जीतमल कछारा, चतुर कोठारी, राजकुमार दक , प्रकाश सोनी, विनोद चोरड़िया, मदन धोका, पप्पू लाल कीर, जेल अधीक्षक अंबालाल जी, आदि ने अपने विचार व्यक्त किए। मदन धोका के नेतृत्व में सभी बंदी भाइयों को दीपावली की मिठाइयां एवं फल वितरण किया गया।