खेंखरे पर्व पर मोड़ी गांव में आयोजित पशुओं की क्रीड़ा देखने उमड़े ग्रामवासी
उदयपुर (राजस्थान/ मुकेश मेनारिया) जिले के ग्रामीण अंचलों में आज भी कई ऐसी परम्परा हे जो कि सालोंं से चली आ रही हैै जिनका निर्वहन ग्रामीणों द्वारा किया जाता आ रहा है। त्योहारों में सबसे बड़े त्यौहार दीपोत्सव का ग्रामीण क्षेत्रोंं में खास महत्व होता है। इस पर्व पर विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम का आयोजन भी होता है। इसी तरह दीपोत्सव के बाद खेंखरे पर्व व अन्नकूट महोत्सव को बड़े उत्साह पूर्वक मनाया जाता है। उदयपुर जिले के ग्राम पंचायत मोड़ी में खेंखरे पर्व पर देर शाम को आयोजित पशुओं की क्रीड़ा देखने के लिए आस पास के विभिन्न गांवों और कस्बोंं से ग्रामीणों की भीड़ जमा रही। इस पर्व पर ग्रामीणों द्वारा अपने अपने पालतू पशुओं में बैलों को स्नान ध्यान व श्रृंगार धारण कर के बाजार में जैन मंदिर के पास चौक में लाकर एक के बाद एक लाइन से खड़ा किया गया।
इसके बाद गांव के वरिष्ठ पटेल भंवर लाल जाट के द्वारा परम्परा के अनुसार पूजा अर्चना कर बैलों को लापसी, चूरमा व कसार खिलाया गया। इसी बीच मिटटी के कलश में जल भरकर बैलों की वंदना की गई। इसके बाद मिटटी के कलश को चौक के बीचोबीच लाकर फोड़ते ही ढोल नगाड़ों की थाप पर बैलों को दौड़ाया गया। ग्रामीणों की भीड़ और ढोल नगाड़ों की मधुर ध्वनि के माहौल में सज्जे धजे बैल गांव की गलियों में होते हुए बाड़ोंं तक पहुंंचे। इसी बीच गांव की गलियों में बैलों के दौड़ने हुए देख हर कोई रोमांचित हो उठा। इस आयोजन में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले बैलों के जोड़े के मालिक को पुरष्कृत किया गया। इसके बाद चारभुजा नाथ के मंदिर पर हलवा बनाकर उनको भोग लगाकर प्रसाद वितरित किया गया। इस पशुओं की क्रीड़ा को देखने के लिए मोड़ी, मजावडा सहित गुजरात से हजारो की संख्या में ग्रामीणों की भीड़ जमा रही।