पर्यावरण प्रेमी सुरेन्द्र सैन ने अभी तक लगाए 90 हजार से अधिक पौधे, लगभग हर तीसरा पौधा बन चुका पेड़
अलवर/ मुंडावर तहसील के पेहल गाँव निवासी पर्यावरण प्रेमी के नाम से मशहूर सुरेन्द्र सैन उर्फ बंटी पर्यावरण संरक्षण के लिए जुनूनी है। बचपन में अपने गुरु घीसादास जी महाराज से प्रेरित होकर इनके मन में ऐसा पर्यावरण प्रेम जागा कि पिछले तीस - चालिस वर्षों में गांव, पुलिस थाने, शमशान धाट, धार्मिक स्थल, बस स्टैंड, अस्पताल, स्कूल सहित सैकड़ों जगह अब तक 90 हजार से अधिक पौधे लगा चुके हैं। यही नहीं, पौधा रोपने के बाद उसकी देखरेख अपने बेटे की तरह करते हैं। सुरेन्द्र सैन का कहना है कि सिर्फ पौधरोपण करना ही पर्याप्त नहीं है। लेकिन उसकी देखभाल तब तक करते हैं जब तक वह पेड़ ने बन जाए। ऐसे जगा पर्यावरण संरक्षण प्रेम सुरेन्द्र सैन ने बताया एक दिन वह अपने गुरु महाराज घीसा दास जी के पास बैठे हुए थे तब गुरुजी ने अधिक से अधिक वृक्षारोपण करने की प्रेरणा दी तब से लेकर आज तक पर्यावरण संरक्षण के लिए पौधरोपण कर रहे हैं । अभी तक दस हजार से अधिक पौधे गांव की पड़त भूमि पर लगा चुके हैं।
प्रशासन मदद करे तो उद्यान विकसित करूं
गांव में उद्यान विकसित करना एवं सडक़ किनारे पौधे लगाकर उन्हें पेड़ बनते देखना मेरा सपना है। गांव के प्रमुख मार्गों के दोनों किनारे पेड़ लगे हो। गांव में एक उद्यान हो। पौधे लगाने के लिए ट्री गार्ड की व्यवस्था जिला प्रशासन करे तो गांव को हरा-भरा बना दूं।
पर्यावरण प्रेम ऐसा कि पौधों की बच्चे की तरह करते हैं सेवा, पौधों को पानी पिलाना नहीं भूलते
सुरेन्द्र सैन ने बताया कि वे सब्जी बेचने का काम करते हैं। काम पर जाने से पहले नियमित रूप से दिन में एक बार पौधों को पानी देना नहीं भूलते। गर्मी के मौसम में पौधों को दो बार पानी देना होता है इसलिए जरूरी काम होने पर ही गांव छोडकऱ जाते हैं। उन्होंने बताया कि उनकी ओर से लगाए गए पौधों में से लगभग सभी पौधे पेड़ बन चुके हैं। अगर किसी को उनके लगाये हुए 90 हजार से अधिक पेड़ों पर किसी को संका हो तो उन्हें जिवित पेड़ दिखा भी सकते हैं ।
कई बार हो चुके सम्मानित
पर्यावरण प्रेमी सुरेन्द्र सैन अब तक उपखंड स्तर व पुलिस थानों, अस्पताल, स्कूल, गांव की चौपाल पर एनेक बार सैकड़ों प्रमाण पत्र के साथ सम्मानित हो चुके हैं।
स्वयं घर पर करते हैं पौधे तैयार
पर्यावरण प्रेमी सुरेन्द्र सैन स्वयं अपने घर पर करते हैं पौधे तैयार व नि:शुल्क किसानों व आस पास के ग्रामीणों को पौधे देकर लगाने को करते हैं प्रेरित।