कस्बे में भूजल का हो रहा दोहन, लोग पी रहे प्लास्टिक जार से ठंडा मीठा जहर का पानी
अंता (शफीक मंसूरी) :- अंता क्षेत्र के अलावा ग्रामीण अंचलों में करीब 30 से अधिक वाटर फिल्टर प्लांट चल रहे है जो शुद्ध पानी के नाम पर प्लास्टिक जार में पानी भरकर पानी की बिक्री कर रहा है। अंता क्षेत्र में तो पिकअप वैन पर एक हजार क्षमता वाला एक टंकी पानी भरकर उसी से पानी जार में भरकर लोगों के बैच दिया जा रहा है। सवाल यह है कि पानी का कारोबार करने वाले अधिकांश लोग बिना लाइसेंस के ही लाखों रुपये की कमाई कर रहे हैं। इनके पास पानी की गुणवत्ता जांच के लिए संयंत्र भी उपलब्ध नहीं है।
अंता नगर में वार्डो में घर घर एंव दुकानदारों से लेकर सरकारी दफ्तरों में भी आरो वाटर की कैन रखी नजर आयेगी।लेकिन खाद्य विभाग सहित किसी भी जिम्मेदार अधिकारी की इस पर नजर नहीं पड़ रही है कि संचालित हो रहे मिनरल वाटर शुध्द या नहीं आपको बताते चलें कि अंता क्षेत्र में मिनरल वाटर के नाम से दर्जनों पानी के प्लांट संचालित हो रहे हैं।यह प्लांट संचालक मिनरल वाटर के नाम पर मोटी कमाई करके अपनी जेबें भरने में लगे हुए हैं।मगर इनकी शुद्धता और तय मानकों का पालन कराने के लिए किसी भी प्रशासनिक अधिकारी ने अब तक कोई सुध नहीं ली है।गर्मी का मौसम शुरू होते ही मुख्यालय सहित कस्बों में मिनरल वाटर का धंधा जोरो पर है।शुध्द मिनरल वाटर के नाम पर बिक रहे पानी भरे जार आम घरों से लेकर दुकानों व सरकारी कार्यालयों में भी देखे जा सकते हैं।जिसे लोग शुध्द पानी समझकर पी रहे हैं जबकि कुछ लोगों का कहना है कि शुध्द मिनरल पानी की गुणवत्ता सील बंद डिब्बे या बोतल में होती है।पानी विक्रेताओं द्वारा ऐसे पानी को बेचने से खुले डिब्बों में पानी की शुद्धता की कोई गारंटी नहीं रहती है।नगर में खुलेआम बिकने वाले इस मिनरल वाटर के बारे में बताया जाता है कि इस कथित शुध्द पानी निर्माण के लिए लोग छोटे से कमरे में बोरिंग कराकर उस पानी को कथित फिल्टर मशीन से निकालकर फ्रीजर में ठंडा करते हैं इसके बाद दस बीस लीटर के केन जार में भरकर बिक्री के लिए तैयार कर दिया जाता है उक्त मिनरल वाटर के केन को संचालकों द्वारा बीस रूपये से 25 रूपये कीमत तक बेचा जाता है।धड़ल्ले से बिक रहे कथित मिनरल वाटर को लेकर ताज्जुब जब होता है कि इस पानी को जिम्मेदार अधिकारी तक पीते देखे जाते हैं।इसके बाद भी कथित शुध्द पानी की जांच की ओर से जिम्मेदार आंखे बंद किए हुए हैं।अब क्षेत्रवासी शुध्द मिनरल के नाम पर क्या पी रहे हैं बताना संभव नही है।
नही होती पानी की गुणवत्ता की जांच नगर से लेकर गांव तक फिल्टर प्लांट का धंधा सरकार सहित सभी लोग
कहते हैं कि जल ही जीवन है, मगर बदलते समय मे भूजल का जिस तरह से दोहन किया जा रहा है उसके अनुसार जल ही जीवन पर भारी पड़ रहा है। पाताल से निकलने वाला पानी भी प्रदूषित हो गया है। अंता क्षेत्र से लेकर ग्रामीण अंचलों में एक बड़ी आबादी प्लास्टिक जार में बंद पानी को खरीद कर अपनी प्यास बुझा रहे हैं। सिर्फ अंता नगर में लगभग 20 हजार लीटर प्लास्टिक जार बंद पानी की बिक्री हर रोज होती है। लेकिन प्लास्टिक जार में बंद पानी का उपयोग करने वाले लोगों को यह पता नहीं है कि जार का पानी पूरी तरह प्रदूषित है जो मीठा जहर का काम कर रहा है। क्योंकि जार में बिक रहे पानी की गुणवत्ता की कोई भी प्रमाणिक गारंटी नहीं है। और न ही शुद्ध पानी का कारोबार करने वालों पर जिला प्रशासन का नियंत्रण है। नगर व ग्रामीण क्षेत्रों में तो बिना लाइसेंस के ही दर्जन भर से अधिक पानी कारोबारी अपने घर में ही फिल्टर प्लांट लगाकर बिना मानक के प्लास्टिक जार में पानी भरकर सेहत की अनदेखी कर मुनाफे का धंधा नगर से गांव तक बिक रहा जार का पानी
कस्बे में जांच को लेकर जागरूकता नहीं रहने से लोग दूषित पानी पीने को मजबूर हैं। पानी की जांच के लिए 13 मानक तय किए गए हैं। जिसके तहत पानी कारोबारी को पानी का पीएच, टीडीएस, आसरनिक, हार्डनेस, कैल्शियम, मैग्नेशियम, क्लोराइड, सल्फेट, आयरन, नाइट्रेट, फ्लोराइड आदि की जांच अनिवार्य रूप से करने के बाद ही उस पानी का उपयोग एवं बिक्री करना है। पानी का स्वाद, गंध और रंग की भी जांच जरूरी है। लेकिन नगर में बिना गुणवत्ता जांच के ही पानी का गोरखधंधा बाजार का रूप ले लिया है। इस पर किसी का ध्यान नहीं है।
नगर पालिका अधिशाष अधिकारी ने धर्म कुमार मीणा ने बताया की नगर पालिका अब तक किसी भी वाटर फिल्टर प्लांट की कोई जानकारी नहीं ना किसी ने कोई आवेदन किए यदि लायसेंस संबंधी नियम में हुआ तो बिना लाइसेंस के पानी का कारोबार करने वालों पर कार्रवाई की जाएगी