वेदों में भी लिखी हुई है जल की महत्वता – भाम्भू
नागौर (राजस्थान/ तेजाराम लाडणवा) जल जीवन मिशन के तहत जल शक्ति मंत्रालय द्वारा नामित प्रमुख संसाधन केंद्र विवेकानंद ग्लोबल यूनिवर्सिटी के द्वारा चलाई जा रही 4 दिन तक चलने वाले आवासीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारम्भ आज नागौर में किया गया । आज के कार्यक्रम का शुभारम्भ पदमश्री अवार्ड से सम्मानित हिमता राम भाम्भू द्वारा किया गया। भाम्भू ने जल जीवन मिशन की योजनाओं को पंचायत स्तर पर किस तरह क्रियान्वित किया जायेगा, इस पर प्रकाश डाला । भाम्भू ने जल सरंक्षण के साथ साथ पेड़ों की रक्षा के लिए भी आह्वान किया।
आज के कार्यक्रम को संबोधित करते हुए जस्साराम, (Rtd. RAS) ने कहा कि भारत में जल संरक्षण की बहुत प्राचीन परम्परा रही है किन्तु आधुनिकता के चलते हमने इसे भुला सा दिया है । राजस्थान सहित देश के सभी प्रदेशों में वर्षा जल संरक्षण की बहुत सी परम्पराओं का निर्वहन आज भी किया जा रहा है ।
सुशील कुमार डूडी (रिटायर्ड अधिशाषी अभियंता, PHED )ने जल परम्परागत तरीकों से किस किस तरह से साफ़ कर पीने योग्य बनाया जा सकता है इसकी जानकारी दी । आज के कार्यक्रम के विषय विशेषज्ञ डॉ तेजवीर चौधरी ने पानी की उपयोगिता विषय पर प्रशिक्षार्थियों के समक्ष प्रजेंटेशन दिया । इसके बाद डॉ. रवि पारीक ने जल जीवन मिशन की जानकारी देते हुए बताया कि इस मिशन के पूरा होने के बाद ग्राम पंचायतें व ग्राम समितियां अपनी जल वितरण संबंधी अपनी योजनाएं खुद ही बनाएगी तथा वे खुद ही इनका रखरखाव करेंगी।
कार्यक्रम में रामूराम (परियोजना समन्वयक) ने जल के संरक्षण और सदुपयोग में महिलाओं की भागीदारी विषय पर अपना व्याख्यान दिया । इसी क्रम में सहदेव राम ने बताया कि गाँव में जल समितियां बनी हुयी है जिसमें गाँव की पंचायत के सदस्य और ग्रामीण किस तरह भागीदारी ले सकते है, के बारे में जानकारी दी। पांचू राम ने जल की गुणवत्ता व उसकी जांच फील्ड टेस्टिंग किट द्वारा प्रायोगिक रुप से प्रतिभागियों को बताया। कार्यक्रम का संचालन करते हुए मोहम्मद शरीफ छींपा ने राष्ट्रीय जल जीवन मिशन के तहत चल रहे कार्यकर्मों पर प्रकाश डाला और बताया कि अगर हमने जल की महत्वता को अब भी नही समझा तो आने वाली पीढ़ियां हमे दोष देगी।