दातागंज में निकला मुहर्रम जुलूस: भारी पुलिस बल रहा मुस्तैद
उत्तरप्रदेश के बदायूँ जिले के दातागंज में निकला मुहर्रम जुलूस, प्रशासन की तैयारी रही पूर्ण। आप को बताते चले कि वैश्विक महामारी सक्रिय रहने के कारण पिछले दो साल से मुहर्रम पर्व भीड़ मुक्त व सादगी वातावरण में मनाया जा रहा था। दो वर्ष के इंतजार के बाद वर्तमान समय में वैश्विक महामारी का प्रकोप निष्क्रिय है, इस वजह से मुहर्रम की तैयारी पहले से ही जोर-शोर से चल रही थी। दातागंज मुहर्रम जुलूस में अखाड़ा समिति के आयोजित कार्यक्रम के माध्यम से करतब दिखाने के लिए युवाओं में काफी उत्साह देखने को मिला। युवाओं ने अखाड़ा का अभ्यास कर रहे है नौजवान, किशोर व बच्चे इमामबाड़े पर लाठी भांजने के उस्ताद से प्रशिक्षण लेते नजऱ आए। लोग इमामबाड़ों की साफ-सफाई में जोर-शोर से पहले से ही जुटे हुए थे। कई स्थानों पर लोगों ने पारंपरिक के अनुसार लाठी का प्रदर्शन अभ्यास भी किया। मुहर्रम पर रोजेदार को मिलता है शबाब : मोहर्रम खुशियों का त्योहार नहीं बल्कि मातम और शोक मनाने का महीना है इसलिए इस दिन हुसैन उनके परिवार और दोस्तों की शहादत को याद करते हैं। इस दिन उनकी शहादत को याद करते हुए सड़कों पर जुलूस निकाला जाता है और लोग मातम मनाते हैं मुहर्रम में रोजे रखने का भी रिवाज है, लेकिन इस महीने में रोजे रखना अनिवार्य नहीं है यह इच्छा पर निर्भर करता है कि रोजा रखना है या नहीं। मान्यता है कि मुहर्रम में रोजे रखने वाले रोजेदारों को काफी शबाव मिलता है। इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार इस्लामिक न्यू ईयर की शुरुआत 30 जुलाई से हो चुकी है। मुस्लिमों का पहला महीना मुहर्रम होता है , इसे मुस्लिम लोग गम के महीने के रूप में मनाते हैं। इस महीने के दसवें दिन को मुहर्रम के रूप में मनाया जाता है। इस बार मुहर्रम का त्योहार 9 अगस्त को मनाया गया है।
दातागंज में 9 अगस्त को जुलूस निकाला गया, क्योंकि इस्लाम का हर त्योहार चांद देखने के बाद ही मनाया जाता है। इसलिए तिथि का निर्धारण चांद देखने के बाद ही होता है। आप को बता दे कि मुहर्रम का इतिहास : इस्लामिक मान्यताओं के अनुसार पैगंबर मोहम्मद साहब के पोते हजरत इमाम हुसैन और बादशाह यजीद की सेना के बीच जंग हुई थी। जंग में बादशाह यजीद की सेना द्वारा हजरत इमाम हुसैन और उनके परिवार को सैनिकों के साथ शहीद कर दिया गया था। मान्यताओं के मुताबिक मुहर्रम के महीने में दसवें दिन ही इस्लाम की रक्षा के लिए हजरत इमाम हुसैन ने अपनी जान कुर्बान कर दी थी। इसलिए हर वर्ष मुहर्रम महीने के 10वें दिन मुहर्रम मनाया जाता है।
मुहर्रम का पूरा महीना रहमत वाला होता है। इस महीने की शुरुआत से ही लोग अपने-अपने इलाकों में ताजिया बनाने का काम करते हैं। मुहर्रम के एक दिन पहले लोग ताजियों को चबूतरा पर रख देते हैं और अगले दिन सुबह ताजिया जुलूस निकालते हैं। इस दिन आस पास के क्षेत्र में होने वाले जुलूस में ताजिया शामिल कराते हैं। मुहर्रम का महत्व है कि इस्लामिक मान्यता अनुसार जो लोग मुहर्रम का रोजा रख कर मुहर्रम के नियमों का विधि पूर्वक पालन करते हैं उनके दो साल के गुनाह माफ हो जाते हैं। इतना ही नहीं ऐसी मान्यता है कि मुहर्रम के उपासकों को 30 रोजे के बराबर फल मिलता है। इस्लामिक कैलेंडर के मुताबिक मुहर्रम इस्लाम का पहला महीना होता है, जो बकरीद के त्योहार के 20 दिनों के बाद मनाया जाता है। इस वर्ष मुहर्रम का महीना 31 जुलाई से शुरू हुआ है। इसी के चलते दिन मंगलवार 9 अगस्त को मुहर्रम का जुलूस निकाला गया।
जिसके चलते डिप्टी एस. पी कर्मवीर सिंह ने सुरक्षा की दृष्टि से जुलूस में खुराफाती तत्वों पर पैनी नज़र रखते दिखे। कोतवाली प्रभारी निरीक्षक दातागंज सौरभ सिंह व वरिष्ठ उपनिरीक्षक शिवेंद्र भदौरिया , समरेर चौकी प्रभारी धर्मेंद्र कुमार जुलूस निकालने की शुरुआत से अंतिम क्षण तक सुरक्षा की दृष्टि व यातायात प्रतिबंध न हो इसके तहत जुलूस के साथ रहे। वही दातागंज इंस्पेक्टर सौरभ सिंह ने मुहर्रम को लेकर जुलूस में सादा बर्दी में पुलिसकर्मियों को लगाया था जिसके चलते मुहर्रम का जुलूस शांतिपूर्ण अच्छे से निकल गया। मुहर्रम के जुलूस से पहले उपजिलाधिकारी दातागंज रामशिरोमणि ने कोतवाली परिसर दातागंज में कैम्प कर पुलिसकर्मियों को मुहर्रम के जुलूस को सही ढंग से सुरक्षित निकलने को लेकर महत्वपूर्ण दिशा निर्देश दिए थे।