जिसे भारत से प्यार नहीं उसे यहां रहने का अधिकार नहीं - साध्वी समाहिता
साध्वी ऋतंभरा की शिष्या साध्वी समाहिता ने समग्र हिंदू समाज से एकजुट होकर जाती पाती व ऊंच-नीच के बंधन तोड़ने का आवाहन किया
राम जन्मभूमि मंदिर निर्माण हिंदुओं की आस्था व दृढ़ता का प्रतीक, अभी नहीं तो कभी नहीं, जागे और जगाए। मातृशक्ति बच्चों को संस्कारवान बनाएं।
सिरोही (राजस्थान/ रमेश सुथार) प्रभु राम को नकारने वाले लोगों को करारा जवाब देते हुए प. पूज्य दीदी मां साध्वी रितंभरा की कृपा पात्र शिष्या साध्वी समाहिता ने कहा कि " राम मेरी जान, मेरी शान, मेरा प्राण है, भारत की भूमि में तुम जिंदा हो तो यही श्री राम के होने का प्रमाण है। अगर हमारे धर्म के साथ खिलवाड़ किया तो बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। साध्वी ने भाटकड़ा स्थित शनि देव मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव में उपस्थित जनसमुदाय को संबोधित करते हुए एकजुट होने का आह्वान किया।
शनिवार रात्रि को आयोजित भजन संध्या के दौरान कार्यक्रम में भाग लेने पहुंची साध्वी समाहिता ने अपने मुखारविंद से संबोधन के दौरान हिंदुत्व का ज्वार उत्पन्न करते हुए कहा कि हमारी सनातन संस्कृति इस देश का मजबूत आधार है। उन्होंने सत्य सनातन का गौरव गान करते हुए बताया कि अनेक विपरीत परिस्थितियों के बावजूद हमारी संस्कृति, सभ्यता, धर्म तथा राष्ट्र संपूर्ण विश्व पटल पर स्वाभिमान के साथ खड़ा है, सनातन की व्यापकता मानवता, दया, उदारता तथा करुणा के भाव से में समाहित है। साध्वी ने कविता की पंक्तियां " वंशज भरत के, मां भारती के कर्णधार अपने विचार भी कुछ क्रांतिकारी कीजिए..
." सुनाकर राजस्थान की वीर प्रसूता धोरानी धरती तथा यहां के लोक देवताओं को वंदन करते हुए उपस्थित हिंदूवादी कार्यकर्ताओं को धर्म ध्वजा के लिए आगे आने का आवाहन किया। साध्वी समाहिता ने अपने तीखे अंदाज में कहा कि शांति के गीत हमने खूब गा लिए, अहिंसा के पाठ भी पढ़ा लिए, अब अराजकता इस देश में नहीं चलेगी। जिस दिन शेर अपनी मांद से निकलेगा उस दिन सियार की शामत आएगी। उन्होंने यह भी कहा कि अगर प्रेम से रहोगे तो गले लगाएंगे, सभी धरती के लाल हैं सनातन में यही परंपरा प्रार्थना है सर्वे भवंतू सुखिन:। उन्होंने कहा कि मुझे किसी धर्म मजहब संप्रदाय से कोई दिक्कत नहीं है और ना किसी को आहत करना चाहती हूं लेकिन जो भारत का अन्न खाए और भारत के टुकड़े हो ऐसी बात करें, भारत के लोगों से नफरत करें, ऐसे लोगों का तिरस्कार करती हूं। साध्वी ने विश्वास व्यक्त कर कहा कि देश में अमन चैन स्थापित होगा क्योंकि हम सभी राम कृष्ण महाराणा प्रताप के वंशज है उन्होंने विरासत का गुणगान कर कहा हमारी रक्त शिराओं में वही खून बह रहा है।
मातृशक्ति से किया आवाहन -
साध्वी समाहिता ने मातृशक्ति का आह्वान करते हुए कहा कि वे अपने बच्चों को भारत का गौरव गाने सुनाएं और हमारे महापुरूषों ऋषियों का इतिहास पढ़ाए, साध्वी ने विधर्मियो को ललकारते हुए बहन बेटियों को निज रक्षा के लिए साहस दिखाने की अपील की। उन्होंने भारत को पुनः समृद्ध व वैभवशाली बनाने और उसे उत्कर्ष पर ले जाने के लिए प्राण प्रण से एक होकर जुटने की बात कही।
सनातन का प्रवाह अविरल है -
साध्वी समाहिता ने उनकी गुरु मां साध्वी ऋतंभरा के राम जन्मभूमि आंदोलन में अग्रणी भूमिका निभाने का स्मरण करते हुए कहा की जब बलिदान की बात हो या पूज्य संतों के मार्गदर्शन की बात हो संतो ने जब जगाने की आवश्यकता पड़ी तब समाज को जागृत करने का काम किया और अब एकजुट कर बांधने की आवश्यकता है। दुश्मनों द्वारा हिंदू समाज में दुष्प्रचार फैलाकर भेदभाव की बातें प्रचारित करने से बचने की सलाह दी। सनातन संस्कृति को को परिलक्षित करते प्रमाण स्वरूप उदाहरण देते हुए समाहिता दीदी ने कहा कि हमारे सप्ताह के सातों दिन देवी देवताओं की आराधना को समर्पित होते हैं। हमारे ठाकुर को अगर बंसी के स्वर फूकना आता है तो जीवन में प्रेम का संगीत भरना भी आता है, आनंद के गीत यदि बांसुरी की धुन पर छेड़ सकते हैं तो अराजकता को नष्ट करने के लिए रथ का पहिया लेकर भी दौड़ सकते हैं। भूख लगने पर बालपन में परम पराक्रमी बालाजी ने सूर्य को अपनी खुराक बनाई थी।
रामलला मंदिर निर्माण गौरवशाली क्षण -
ओजस्वी वक्ता साध्वी रितंभरा की शिष्या ने प्रभु श्री राम के जन्म स्थान अयोध्या में बन रहे भव्य मंदिर निर्माण को लेकर प्रसन्नता जताई और राष्ट्र की बागडोर सशक्त हाथों में होने की बात कहते हुए आंदोलन के गीत " लोकसभा बासंती चोला पहन के जिस दिन आएगी गली-गली मेरे भारत की वृंदावन कह लाएगी..." तथा अयोध्या करती है आव्हान ठाठ से कर मंदिर निर्माण, जन्मभूमि की जय हो... गीत सुनाकर पूरा वातावरण जोश और उन्माद से भर कर भक्तिमय बना दिया। उपस्थित भक्तो - श्रोताओं ने
प्रभु राम व कृष्ण जन्मभूमि के जयकारे लगाए।
मुगल आक्रांताओं पर कसा तंज -
साध्वी समाहिता ने भारत की भूमि को वीर प्रसूता भू बताते हुए कहा कि हमारी मातृभूमि को हम भूल नहीं सकते जहां हमारे पुरखों ने बलिदान दिया। साध्वी ने मुगल आक्रांताओ व शासकों के द्वारा नाम व स्थान बदलने के कृत्यों पर तीखा वार किया और तंज कसकर कहा कि देश की नदियों गंगा, जमुना, सरस्वती, तापी आदि इसी प्रकार पर्वत कैलाश, हिमालय आदि सभी भौगोलिक प्रमाण सनातन संस्कृति को दर्शाते हैं। अगर नाम बदलना था तो सूरज, चंद्रमा का नाम बदल देते यह हमारे पूजनीय रहे हैं यहां तक की अन्न, जल, धरती भी हमारे देवता हैं अगर वो विधर्मी नहीं मानते तो इनका त्याग कर दें।
साध्वी का किया स्वागत, पुनः आने का वचन दिया -
आयोजन समिति की ओर से पूर्व पार्षद अमिया देवी माली ने शॉल व माला पहनाकर साध्वी समाहिता का सम्मान किया। इस मौके पर साध्वी ने देवनगरी सिरोही में कथा के आयोजन को लेकर समाजसेवी रघुभाई माली की ओर मुखातिब होकर कहा कि आप लोगों ने चाहा तो आने वाले दिनों में सिरोही में वे कथा करने आएंगी। इस मौके पर पूर्व सभापति ताराराम माली, पार्षद गोविंद माली, गोपाल माली, छगनलाल प्रकाश माली, जय गोपाल पुरोहित, लोकेश खंडेलवाल, भुबाराम माली, संत रामानंद,जगदीश माली, महेंद्र माली, भंवरलाल, दलपत माली, रमेश, शंकरलाल आदि बड़ी संख्या में जन समुदाय उपस्थित था।