जो समाज को सही दिशा प्रदान करे वही सच्चा साहित्य - शिवप्रसाद
युगीन साहित्य प्रवाह के अधिवेशन में गोपाल दाधीच की पुस्तक "कब छटेगा यह कोहरा" का विमोचन
गंगापुर ( भीलवाड़ा, राजस्थान/ राजकुमार गोयल) हमारे देश का गौरवशाली अतीत रहा है। इस गौरव की अनुभूति हमें साहित्य के माध्यम से ही होती रही है। वर्तमान समय में साहित्य से जुड़े लोगों को अपनी जिम्मेदारी समझते हुए सृजन कार्य करना चाहिए क्योंकि साहित्य ही समाज को सही दिशा दिखाता है। ये विचार भीलवाड़ा की अग्रणी साहित्यिक संस्था युगीन साहित्य प्रवाह के संरक्षक गोपाल लाल दाधीच के काव्य-संग्रह "कब छटेगा यह कोहरा" के विमोचन कार्यक्रम में मुख्यवक्ता विद्याभारती के क्षेत्रीय संगठन मंत्री शिवप्रसाद ने व्यक्त किये। युगीन साहित्य प्रवाह के संस्थापक योगेश दाधीच योगसा ने अधिवेशन और पुस्तक विमोचन कार्यक्रम की रूपरेखा बताई। कस्बे की सोहस्ती वाटिका में आयोजित कार्यक्रम में महंत मदनमोहनदास ने कहा कि साहित्य और धर्म एक दूसरे के पर्याय हैं। साहित्य के माध्यम से बच्चों को प्रारम्भ से ही संस्कार देने चाहिए। कार्यक्रम संयोजक वीर रस के प्रखर हस्ताक्षर कवि योगेन्द्र शर्मा ने अपने ओजस्वी उद्बोधन और कविता से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। कब छटेगा यह कोहरा पुस्तक के बारे में कहा कि ऐसी सकारात्मक कविताएँ पढ़कर लगता है कि इसका नाम छट चुका है कोहरा होना चाहिए। पुस्तक की समीक्षा करते हुए वरिष्ठ साहित्यकार अक्षयराज सिंह झाला ने कहा कि इस पुस्तक में दाधीच की 45 वर्षीय साहित्यिक यात्रा का निचोड़ है। जीवन के उतार-चढ़ाव को इनमें महसूस किया जा सकता है। कवि ने हर कविता में प्रतीकों के माध्यम से दार्शनिक चिंतन प्रकट किया है। समीक्षक और गद्यकार सतीश कुमार व्यास आस द्वारा लिखी पुस्तक-भूमिका का वाचन करते हुए कवि रोहित सुकुमार ने कहा कि कब छटेगा यह कोहरा पुस्तक उम्मीदों के नाव लेकर बाधाओं के समंदर पर जीत की इबारत मांडता काव्यकलश है। इन कविताओं को पढ़ने, समझने के लिए समय उधार लेना पड़ता है।
पुस्तक के रचनाकार गोपाल लाल दाधीच ने कहा कि 18 वर्ष की उम्र में लिखी मेरी पहली कविता 'कब छटेगा यह कोहरा' के नाम से काव्य-संग्रह प्रकाशित होना मेरे लिए एक सपने के सच होने जैसा है। अध्यक्ष बाल साहित्यकार डॉ. सत्यनारायण सत्य ने संस्था की स्थापना, उद्देश्य और कार्यक्रमों की जानकारी दी। अक्षरा दाधीच ने कहा कि इस पुस्तक की रचनाएं पढ़ने पर ऐसा लगता है जैसे कवि ने शब्दों के माध्यम से निर्जीव में भी जीवन का संचार कर दिया हो। पुखराज सोनी ने अपनी मधुर आवाज में गीत प्रस्तुत किया। छोटे बच्चों खुश, युगीन, यश ने पुस्तक की कविताओं का वाचन किया।
कार्यक्रम के अध्यक्ष डॉ. शंकरलाल माली ने पुस्तक प्रकाशन की बधाई देते हुए कहा कि साहित्य के माध्यम से राष्ट्रचिन्तन का यह प्रयास अनुकरणीय है। अधिवेशन में साहित्य के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने वाले राजकुमार सोनी मालपुरा (टोंक), अक्षयराज सिंह झाला, सतीशकुमार व्यास आस, रोहित सुकुमार, पुखराज सोनी, आदित्य जाट, प्रकाश परासर का अभिनंदन किया गया। कार्यक्रम में वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. रविकांत सनाढ्य, ओम उज्ज्वल, सत्येंद्र मंडेला शाहपुरा, डॉ. ताराचंद खेतावत, जयप्रकाश भाटिया, कन्हैयालाल त्रिपाठी राजसमंद, जगजितेंद्र सिंह, शंकरसिंह राणावत, मांडलगढ़ राजकीय महाविद्यालय के प्राचार्य सूर्यप्रकाश पारीक सहित क्षेत्र के साहित्यकार, प्रबुद्धजन और समूह के सदस्य उपस्थित थे। कई साहित्यिक, सामाजिक, शैक्षिक संस्थाओं और संगठनों ने पुस्तक के रचनाकार गोपाल लाल दाधीच का अभिनंदन किया। मदनलाल दाधीच ने आभार प्रदर्शन किया। संचालन सतीशकुमार व्यास आस ने किया।