मुख्य सचेतक एवं नगर विधायक के आश्वासन के बाद साधुओं का आमरण अनशन क्रमिक अनशन में हुआ तब्दील
सरकार पर भरोसा है लेकिन एक बड़े आंदोलन की पूरी है - राधा कांत
ड़ीग (भरतपुर, राजस्थान/ पदम जैन) आदि बद्री व कनकाचल पर्वत को खनन मुक्त कर संरक्षित वन घोषित करने की मांग को लेकर विगत 206 दिनों से गांव पसोपा में धरने पर बैठे साधु संतों का आंदोलन जारी है। आमरण अनशन पर बैठे 14 साधुओं का सोमवार को पांचवा दिन था। विधानसभा के मुख्य सचेतक महेश जोशी की पहल पर नगर के विधायक वाजिब अली व भरतपुर के जिलाधिकारी हिमांशु गुप्ता ने सोमवार को आंदोलनकारी साधु संतों को आश्वस्त किया है कि साधु-संतों की मांग को लेकर राज्य सरकार गंभीर है पर वर्तमान में लागू आचार संहिता के कारण उनकी मांग को लेकर किसी प्रकार की कोई भी घोषणा नहीं की जा सकती। विधायक व जिला कलेक्टर ने साधु संतों से अपील की है कि वह अपना आमरण अनशन स्थगित कर इस संबंध में सरकार को ओर समय दें ताकि आदि बद्री और कंकाचल को वन संरक्षित क्षेत्र घोषित करने की मांग को लेकर सरकार सभी जानकारी जुटाकर सकारात्मक कार्रवाई कर सके। नगर के विधायक वाजिब अली एवं डीग के कार्यवाहक एडीएम हेमंत कुमार व पुलिस उपअधीक्षक मदनलाल जैफ सहित अन्य अधिकारी गांव पसोपा धरना स्थल पर पहुंचे तथा वंहा उपस्थित आन्दोलनकारीओं व आमरण अनशन पर बैठे 14 साधुओं के समक्ष सरकार की मंशा व्यक्त कर आमरण अनशन पर बैठे साधुऔ से अपील की कि वे अपना अनशन स्थगित करदे। इस पर संरक्षण समिति के अध्यक्ष राधा कांत शास्त्री ने विधायक और एडीएम की बात पर भरोसा जताते हुए कहा कि यह बात सही है कि वर्तमान में लागू आचार संहिता के चलते सरकार चाह कर भी हमारी मांग पर कोई घोषणा नहीं कर सकती है । पर 15 दिवस के भीतर ही मुख्यमंत्री एवं उनके सचिव निर्णायक बैठक कर हमारी हमारी मांग को पूरा करते हुए आदिबद्री व कनकाचल पर्वत को पूर्ण तहत संरक्षित करें। अन्यथा एक बड़े व ऐतिहासिक आंदोलन का विकल्प हमारे सामने खुला हुआ है। जिसकी तैयारियां जोरों पर हैं । उन्होंने कहा किआचार संहिता खत्म होने के सात दिवस के भीतर अगर दोनों पर्वतों को संरक्षित नहीं किया गया तो कई हजारों की संख्या में देश भर से साधु संत, वैष्णव, कृष्ण भक्त, स्थानीय ग्राम वासी भरतपुर में अनिश्चितकालीन महापड़ाव डालेंगे व पुनः सैकड़ों की संख्या में साध्वियाँ, साधु संत आमरण अनशन पर बैठेंगे । शास्त्री ने कहा कि लेकिन हमें पूरा विश्वास है प्रदेश मुख्यमंत्री हमारी मांग पर संज्ञान लेते हुए अति शीघ्र कनकाचल आदिबद्री पर्वत को मुक्त करने की घोषणा करेंगे। उन्होंने कहा कि सरकार इस बात का ध्यान रखें कि हमारा यह आंदोलन तब तक खत्म नहीं होगा जब तक कनकाचल और आदिबद्री पर्वत पूर्णत: सुरक्षित एवं संरक्षित नहीं हो जाते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि साधु संतों का आमरण अनशन तो अभी हम स्थगित कर रहे हैं लेकिन साधुओं का क्रमिक अनशन तब तक जारी रहेगा जब तक हमारी मांग को सरकार पूर्ण रूप से क्रियान्वित नहीं कर देती है। इसके बाद 5 अगस्त से आमरण अनशन पर वैठे 14 साधुओं ने अपने आमरण अनशन को स्थगित करते हुए क्रमिक अनशन में परिवर्तित करने पर सहमति जताई तब जाकर सरकार और जिला प्रशासन ने राहत की सांस ली ।
इसके बाद विधायक वाजिब अली ने आमरण अनशन पर वैठे साधुओं को जल पानी व जूस पिलाया । इस अवसर पर सैकड़ों ग्रामीणों साधु संतों के अलावा प्रमुख रूप से मान मंदिर के ब्रजदास, नरसिंहदास बाबा, साध्वी श्रीजी, साध्वी मधुबनी, साध्वी गौरी, ब्रजकिशोर बाबा, जलाल खान फौजी, हरि बोल बाबा,भूरा बाबा आदि लोग मौजूद थे ।