चेयरमैन व ईओ की तनातनी के चलते बोर्ड बैठक नही हुई आयोजित, विकास कार्य हो रहे बाधित
जहाजपुर (भीलवाड़ा,राजस्थान/ बृजेश शर्मा) नगर पालिका के चेयरमैन और अधिशासी अधिकारी के बीच चला आ रहा मतभेद चरम पर है। इस तनातनी के चलते पालिका की बोर्ड बैठक होनी थी जो नहीं हो पाई। चेयरमैन व अधिकारी के मतभेदों के चलते पालिका के कामकाज एवं नगर के विकास कार्य प्रभावित हो रहे है।
नगर पालिका चेयरमैन नरेश मीणा ने पत्रकारों से रूबरू होते हुए कहा कि नगर पालिका अधिशासी अधिकारी कार्यालय में आने के बाद कभी हमसे संपर्क नहीं कर हस्ताक्षर को प्रमाणित नहीं करवाया। जबकि आने वाला अधिकारी चेयरमैन के पास आकर चार्ज लेता है। ईओ घमंड में चूर है उनको ऐसा लगता है कि वह चतुर्थ श्रेणी नगरपालिका के ईओ ना होकर कमीशनर हो। हर कहीं जाकर नेता की तरह घोषणा कर रहा है जो कि संभव नहीं है। जनता को गुमराह कर यह एहसास दिलाना चाहता है कि मैं विकास का कार्य कर रहा हूं लेकिन बोर्ड इसमें बाधा बन रहा है।
पालिका अधिशासी अधिकारी सुरेंद्र मीणा का कहना है कि ऐसा नगर पालिका के किसी नियमावली में नहीं लिखा है कि ईओ कार्यभार ग्रहण करने से पूर्व चेयरमैन से जाकर मिले! बोर्ड मीटिंग का जो आदेश निकाला गया वह गलत तरीके से निकाला गया। नोटशीट के जरिए ईओ को भेजा जाना चाहिए बोर्ड मीटिंग की तारीख तय करना ईओ के ऊपर है एजेंडा भी ईओ ही तय करता है अध्यक्ष लिख के भेजेंगे की क्या क्या रखना चाहते है अगर वह नगर पालिका अधिनियम के अनुरूप है तो 15 दिन पहले बैठक का नोटिस ईओ के हस्ताक्षर से निकाला जाता है।
वाटसएप फोटो डीपी पर उगली उठाने से पहले भारत के सविधान का अध्धयन करे कि अधिकारी और आम नागरिक को क्या अधिकार है, गाडी पर बत्ती लगाने की बात तो भारत सरकार के राजपत्र के आदेशानुसार गाडी पर बत्ती लगा रखी है, गौशाला और किले के निरीक्षण के लिए कहना कि चैयरमैन से बिना पूछ कर निरक्षण करने गया तो,उन्होने मुझे खरीद नही रखा या मै उनका गुलाम नही हू जो उनसे पूछकर जाऊगा। मेरे सूत्र तो यह भी बताते है कि आए दिन मेरे पर हमले करने के विभिन्न तरीको से सुनियोजिशत साजिश रची जाती है। इसलिए पहले अध्यक्ष साहेब नियम की जानकारी करे उसके बाद आरोप लगाया जाना चाहिए।