प्रकृति के साथ छेड़छाड़ से उपजी तबाही - मीणा

Feb 11, 2021 - 01:17
 0
प्रकृति के साथ छेड़छाड़ से उपजी तबाही - मीणा

प्रकृति के साथ मानव द्वारा अनावश्यक छेड़ छाड़ व इसे संवारने पर अपना ध्यान केंद्रित नहीं करनें के परिणामस्वरूप यह हमेशा एक नई आपदा के रुप में संकेत देते हुए सजग करने का प्रयास करती हैं, लेकिन स्वार्थ के वसिभूत विकास के नाम पर व्यक्ति, समाज, सरकार सभी इसे उजाड़ने में जुटे हुए हैं, जिसके परिणाम सामने आने लगें हैं ओर उसी का परिणाम है सात फरवरी को उत्तराखंड में ग्लेशियर पिधलने के बाद पानी के दबाव से धोली गंगा का बांध टुटा, जिससे नदी में बाड़ आ गई , तपोवन रैणी स्थित ऋषि गंगा पावर प्रोजेक्ट् बराज पुरी तरह ध्वस्त हो गया, बाड़ का पानी छिनका होते हुए चमोली तथा नंद प्रयाग तक जा पहुंचा, बांध टुटने और जल सैलाब से हर तबाही के साथ हाहाकार मचा हुआ है।
बात ग्लेशियर पिघलने की हो या तापमान बढ़ने की, ये वैज्ञानिक विचारधारा के तहत् ग्लोबल वार्मिंग के कारण रहें हैं, दुनिया की सबसे ऊंची पर्वत चोटी माउंट एवरेस्ट बिते पांच दशकों से लगातार गर्म हो रही है, जिससे हिमखण्ड तेजी से पिघल रहें हैं, बढ़ते तापमान के चलते हिमालय के तकरीबन साढ़े छह सौ से अधिक ग्लेशियरो पर अस्तित्व का संकट मण्डरा रहा है, बीते बरसों में डाॅ मुरली मनोहर जोशी की अध्यक्षता वाली संसदीय समिति ने अपनी रिपोर्ट में चिंता जाहिर करते हुए कहा था कि हिमालयी ग्लेशियर तेजी से पिघल रहें हैं, उसने सिफारिश की थी कि हिमालयी पारिस्थितिकी तंत्र को बिगाड़ने से रोका जाये व यहां बढ़ते मानविय दबाव व प्रकृति के साथ छेड़छाड़ को रोकना आवश्य माना , सिफारिश के बाद भी हिमालयी क्षेत्र में तापमान में तेजी से हो रहे बदलाव के साथ साथ अनियोजित विकास का परिणाम ही तबाही है।
हिमालय में आते प्राकृतिक परिवर्तन से कही अधिक धरातलीय क्षेत्रों में देखने को मिल रहें हैं, पारिस्थितिकी तंत्र बिगड़ते जा रहे हैं , ग्लोबल वार्मिंग के चलते गर्म हवाओं के बदलते मिजाज से मौसम चक्र बदल रहे हैं, वर्षा का समय  परिवर्तन के साथ ही नदीया सुख चुकी है, धरती से पानी गायब  हो रहा है, सांसें घुट रही है, परिणामस्वरूप आपदाओं को झेलना पड़ रहा है, बढ़ते प्रदूषण, जहरिली गैसों के मण्डराते बादलों, नष्ट होती वन सम्पदा, मानव द्वारा विकसित विनाशकारी विकास से उपजे जैवविविधता में परिवर्तन विनाश के संकेत हैं, अतः हमे समय रहते हुए प्राकृतिक संसाधन  जो प्रकृति द्वारा उपहार स्वरूप प्राप्त हुए हैं उन्हें संजोकर रखना चाहिए जिससे आने वाले समय में त्रासदियों से बचा जा सके।
लेखन- रामभरोस  
मीणा 

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow

एक्सप्रेस न्यूज़ डेस्क बुलंद आवाज के साथ निष्पक्ष व निर्भीक खबरे... आपको न्याय दिलाने के लिए आपकी आवाज बनेगी कलम की धार... आप भी अपने आस-पास घटित कोई भी सामाजिक घटना, राजनीतिक खबर हमे हमारी ई मेल आईडी GEXPRESSNEWS54@GMAIL.COM या वाट्सएप न 8094612000 पर भेज सकते है हम हर सम्भव प्रयास करेंगे आपकी खबर हमारे न्यूज पोर्टल पर साझा करें। हमारे चैनल GEXPRESSNEWS से जुड़े रहने के लिए धन्यवाद................