सरपंच की द्वेष भावना के कारण जाटव समाज के लोगों को महा नरेगा श्रमिक योजना में नहीं मिल रहा रोजगार

सरकार के लाख प्रयास करने के वावजुद भी नही बदले गांवों के हालत, राज्य सरकार को पंचायत विकास अधिकारी, सचिव व संरपच लाखों करोडो रुपये का लगा रहे है चुना। मनरेगा की योजन दिखाई दे रही है विफल।। सरपंच प्रतिनिधि की द्वेष भावना के कारण जाटव समाज के लोगों को नहीं मिल रहा महानरेगा योजना में रोजगार पीड़ित गरीब नरेगा श्रमिक पहुंचे उपखंड अधिकारी कार्यालय।

Jul 12, 2021 - 22:26
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सरपंच की द्वेष भावना के कारण जाटव समाज के लोगों को महा नरेगा श्रमिक योजना में नहीं मिल रहा रोजगार

जाटव समाज के लोग करिब दो साल से काट रहे है सचिव व सरपचं के चक्कर। सरपंच व  सचिव के लाखों बार टूट चुके हैं नरेगा में काम दिलाने के वादें। आखिर गरिब परिवार कब तक काटता रहेगा रोजगार के लिए चक्कर।। 

कामां (भरतपुर,राजस्थान) जहां एक और राज्य सरकार गरीब मजदूर परिवार  के लिए हर संभव प्रयास करती नजर आ रही है वहीं दूसरी तरफ पंचायत समिति के विकास अधिकारी, सचिव व जनप्रतिनिधि, सरपंच लाखों करोड़ों रुपए  का राज्य सरकार को  चूना लगाते नजर आ रहे हैं। राज्य सरकार द्वारा गांव कस्बों में मनरेगा कार्यो  में लाखों करोड़ों रुपए खर्च करने के बावजूद भी प्रत्येक गरीब परिवार को रोजगार देना चाहती है लेकिन जमीनी धरातल पर मनरेगा योजना विफल होती नजर आ रही है ऐसा ही जीता जागता मामला कामा पंचायत समिति की ग्राम पंचायत सहेडा में देखने को मिला जहां पर गांव की सरकार बनने के बाद सरपंच शारदा देवी की मनमानी व द्वेष भावना नजर आई ।
साथ ही सरपंच शारदा देवी ने गांव की भोली-भाली जनता से वादा था कि प्रत्येक गरीब परिवार को मनरेगा योजना में रोजगार दिलाया जाएगा। जिसके अंतर्गत मनरेगा योजना में गरीब परिवारों को आजीविका चलाने व कमाने का मौका दिया जाएगा। लेकिन वास्तव में जमीनी धरातल पर ऐसा देखने को कही भी नहीं मिला।।

पारम्परिक कहावत के अनुसार "अंधा बांटे रेवड़ी फिर - फिर अपनेन को दे ,,वाली कहानी हुई चरितार्थ ।

यानी कि हम संरपच  ने अपनी ग्राम पंचायत की भोली भाली जनता को रोजगार न देकर मनरेगा श्रमिक योजना का अपने चहेतों को ही फायदा दे डाला। यानी कि हम  कहें अपने परिवार वालों को ही फायदा दे डाला ।
वहीं दूसरी तरफ गांव के बेहद जरूरतमंद गरीब परिवार से जुड़े लोग श्रमिक योजना में अपना नाम जुड़वाने के लिए सरपंच के चक्कर पर चक्कर लगाते नजर आ रहे हैं सरपंच गरीब लोगों से वादे जरूर करते हैं लेकिन बातों पर खरा उतरना नामुमकिन दिखाई साबित होता नजर आ रहा है ।
आखिरकार क्या कारण है कि पंचायत समिति के विकास अधिकारी व सचिव फर्जी मिस्ट्रोल की  शिकायत आने के बावजूद भी निरीक्षण करने क्यों नहीं पहुंचते।
प्राप्त जानकारी के अनुसार गांव के लोगों का कहना है कि गांव की सरकार चुनने के वाद  आज तक वेहद  जरूरतमंद व गरीब परिवार के लोगों के लिए नरेगा योजना में कभी  भी रोजगार का अवसर नहीं मिला है इससे इन लोगों के सामने  जीवन यापन करने  लिए भारी मात्रा में  समस्याएं पैदा हो चुकी हैं ।
वहीं दूसरी तरफ करीब 2 वर्ष से कोरोना काल  चल रहा है  जिसके कारण जो लोग अपनी रोजी-रोटी कमाने के चक्कर में  कारखानों में काम करते थे वह लोग भी दर-दर की ठोकरें खाने को गांव में ही  भटक रहे है।।

 

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