वित्तीय स्वकृति के दो माह बाद भी सामुदायिक चिकित्सालय मे नहीं हो रहा विकास कार्य, ग्रामीणों में रोष व्याप्त
बर्डोद (अलवर, राजस्थान/ मनीष सोनी) कस्बे में अलवर-बहरोड़ राजमार्ग पर स्थित सेठ रूडमल रघुनाथ दास महावर राजकीय रैफरल चिकित्सालय, बर्डोद में विभिन्न विकास कार्यो के लिए अलवर सांसद निधि कोष से स्वीकृत करीब बीस लाख रुपए की वित्तीय स्वकृति के दो महिनों से अधिक समय बीत जाने के बाद भी चिकित्सालय अपने विकास कार्य होने की बांट जोह रहा है। वहीं कार्यकारी एजेंसी ग्राम पंचायत बर्डोद ए़ंव स्थानीय जनप्रतिनिधि की चिकित्सालय में विकास कार्य के प्रति रूचि नहीं होने के कारण ग्रामीणो में रोष व्याप्त है। उल्लेखनीय है कि गत दिनों कोराना काल के समय अलवर सांसद महंत बालक नाथ ने भाजपा पदाधिकारियों ए़ंव समर्थकों के साथ बर्डोद चिकित्सालय का औचक निरीक्षण किया था।
औचक निरीक्षण के दौरान स्थानीय ग्रामीणों, चिकित्सालय स्टाफ,की मांग पर मरीजों के बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं देने के लिए सांसद महंत बालक नाथ द्वारा सांसद निधि कोष से गत 12/07/2021 को जिला परिषद अलवर द्वारा राजकीय सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बर्डोद में विभिन्न विकास कार्यों के लिए करीब बीस लाख रुपए की वित्तीय राशि स्वकृति दी गई थी। जिसमें थ्री फेस की बोरिंग होना, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का मुख्य द्वार का निर्माण,डीडीसी के आगे टीन शैड,ए़ंव इंटरलोकिंग टाइल्स लगाना, मरीजों के लिए 15 स्टील कुर्सी,सफाई के लिए तीन बैकेट सिस्टम, एक पचास केवी का डीजी सैट,एक आर ओ वाटर प्लांट एंव वाटर कूलर लगाना तय है। लेकिन चिकित्सालय में प्रस्तावित इन विकास कार्यों में सिर्फ एक बोरिंग का कार्य पूर्ण हुआ है। बाकी विकास कार्य अभी बाकी है। इस संदर्भ में हमने जब जिम्मेदार लोगों से जानकारी मांगी तो उन्होंने आचार संहिता का बहाना बनाकर पल्ला झाड लिया। कस्बे के ग्रामीणों ने कार्यकारी एजेंसी ग्राम पंचायत बर्डोद, सहित जिला प्रशासन के उच्चाधिकारियों से चिकित्सालय में विकास कार्यों को जल्द पूर्ण करने की मांग की है।
- डा सुरेन्द्र आर्य (राजकीय रैफरल चिकित्सालय प्रभारी बर्डोद) का कहना है कि:- . चिकित्सालय में विकास कार्यों के सम्बन्ध में स्थानीय जनप्रतिनिधि को अनेक बार अवगत कराया जा चुका है। लेकिन अभी तक विकास कार्य अधुरा पड़ा है।
- संजय गुप्ता (ग्राम विकास अधिकारी ग्राम पंचायत बर्डोद) का कहना है कि:- उच्च अधिकारियों के नहीं आने के कारण पूर्व समय में निविदा नहीं निकाली गई। अब आचार संहिता लागू है। आचार संहिता के हटने के बाद विकास कार्य पूर्ण किया जाएगा।