इब्तिदा संस्था कमजोर एवं पढ़ाई छोड़ चुकी बालिकाओं को अध्ययन करवाकर दिखा रही उन्नति की राह
रामगढ़ अलवर
22 सालों से इब्तिदा संस्था बच्चियों के विकास के लिए विभिन्न तरह की योजनाएं चला रही है।
पढ़ाई छोड़ चुकी और कमजोर बालिकाओं के लिए घर बैठे अध्ययन कराना और परीक्षा दिला उन्नति की राह दिखाने का कार्य कर रही है इब्तिदा संस्था।
इस वर्ष भी रामगढ़ नौगांवा क्षेत्र में 15 किशोरी संदर्भ केंद्र शुरू कर युवावस्था में आने वाली 13 से 18 वर्ष की बालिकाओं को होने वाले शारीरिक बदलाव, स्वयं की रक्षा करने के तरीके, सिखाने का कार्य कर रही है इब्तिदा संस्था।
कोर्डीनेटर ने बताया कि हमारी एनजीओ संस्था 1998 से कार्य कर रही है।जिसमें दस वर्ष तक ग्रामीण क्षेत्र में जाती विशेष की एवं पिछडी जाती की ऐसी बालिकाऐं जो आर्थिक तंगी या घरेलू कार्यों के चलते स्कूल नहीं जा सकती ।उनके अभिभावको को बालिका शिक्षा के लिए प्रेरित कर बालिकाओं के लिए कक्षा एक से 5 तक वैकल्पिक स्कूल चला बालिकाओं को कक्षा पांच तक सरकारी स्कूलों में परिक्षा दिलवाने का कार्य करती रही है।2014 से सरकारी स्कूलों में शिक्षक उपलब्ध करवा कक्षा एक और दो के बच्चों को अध़य्यन कराने के साथ साथ कक्षा पांच तक की कमजोर बालिकाओं के लिए विशेष कक्षाऐं लगवा अधय्यन करवाने का कार्य कर रही है।
कोरोना महामारी के वैश्विक महामारी घोषित होने के बाद से गरीबों के लिए भामाशाहों से अनाज एवं राशन सामग्री एकत्र कर प्रशासन के सहयोग से उपलब्ध करवाती रही है।इसके अलावा सरकारी कार्यालयों को सेनेटाइज करवा सरकारी कर्मचारियों और पुलिस कर्मियों के लिए सैनेटाइजर और मास्क उपलब्ध करवाती रही है।
फंड के लिए अनेक बडी कम्पनियां अपनी बचत का कुछ हिस्सा समाज हित में हमारी संस्था के माध्यम से खर्च करती आ रही हैं जिनमें मुंब्ई की एडल क्यू कम्पनी,आईडीएफसी,और बजाज कंपनी और अजीम प्रेमजी फाउंडेशन मुख्य हैं।
इसके अलावा वर्तमान में कोरोना महामारी के चलते ग्रामीण क्षेत्र की कक्षा एक से कक्षा आठ बालिकाओं के समूह को अध्ययन करवाने का कार्य कर रही है।
इसके अलावा संस्था द्वारा रामगढ क्षेत्र के कक्षा 11,12और स्नातक तक के अध्यनरत 123 बच्चों को स्वयं सेवक के रूप में तैयार किया है जो कि अपने अपने मोहल्लों में कक्षा एक से पांच तक के बच्चों की पढाने का कार्य करेंगे।इसके लिए संस्था द्वारा आवश्यक सामग्री उपलब्ध करवाई गई है।
ग्रमीण क्षेत्र के ऐसे समुदाय जो अपनी बेटियों को सरकारी स्कूल में नहीं भेजना चाहते ऐसे लोगों में जागरुकता लाने और उनकी सोच को बददलने के लिए संस्था द्वारा विशेष अभियान चलाया जा रहा है।उन्हें ऐसे बच्चों की कहानियां और पिक्चर दिखाई जाती हैं जिन्होने ग्रामीण परिवेश में और गरीबी में शिक्षा ग्रहण कर अपने गांव और क्षेत्र का नाम रोशन किया है।
राधेश्याम गेरा की रिपोर्ट