मोबाइल फोन बनते जा रहे वैवाहिक जीवन मे कलह का कारण
हिन्दू धर्म मे शादी के बंधन को सात जन्मों का पवित्र रिश्ता माना जाता है। जब लड़की मां बाप के घर से विदा होती है तो उसे परिजन सीख देते है कि अब ससुराल को अपना घर समझना सास ससुर को माँ बाप समझकर इनकी सेवा करना शिकायत का मौका कभी मत देना । बेटी भी परिजनों द्वारा कही गई बातों की गांठ बांध लेती है और अपना पूरा जीवन सास ससुर व पति के सेवा में लगाकर अपना पूरा जीवन सुखमय तरीके से निकाल देती है। लेकिन जब से मोबाइल फोन चला है तबसे लड़कियों के वैवाहिक जीवन में बदलाव देखने को मिल रहा है।
जब लड़की का रिश्ता तय हो जाता है तो अमूमन उसी दिन से लड़की को मोबाइल फोन दे दिया जाता है और शादी के बाद लड़की जब ससुराल जाती है तो हर छोटी बातों को लेकर अपने पीहर पक्ष वालों से घंटो बातें करती रहती हैं ज्यादातर समय उसके कान से मोबाइल फोन चिपका रहता है। और ससुराल की हर छोटी बड़ी बात अपनी माँ को बताती रहती है जिससे मां की तरफ से बेटी को समझाने की बजाय बात बात पर उल्टे दिशा निर्देश मिलते है कि ऐसा करना वैसा करना, वो ये करे तो आप ऐसा करना । हर छोटी बड़ी बात मम्मी पापा भाई बहिन सबको बताई जाती है। परिणाम स्वरूप नई नवेली दुल्हन ससुराल में आ जाती है लेकिन उसका मन हमेशा पीहर में ही रहता है। ऐसे में वो ससुराल की ओर कोई ध्यान नहीं दे पाती। पीहर की तुलना ससुराल से करने के साथ साथ छोटी से छोटी बात भी पति सास से पूछने की बजाए अपनी मां भाभी या बहन से पूछ कर करती है शादी होने के बाद भी वह मोबाइल के चक्कर में पीहर और ससुराल के बीच कभी मां की बात को सही मानने लगती है तो कभी सास की बात को इसी कन्फ्यूजन के बीच व झूला झूलती रहती है जिससे गृह कलह पनपने लगता है पति पत्नी के बीच तनाव बढ़ने लगता है और बात तलाक तक पहुंच जाती है
शादी होकर जैसे ही दुल्हन घर पर आती है तो मोबाइल पर पीहर में तरह-तरह के निर्देश मिलते हैं जैसे पति सास ससुर ननद जेठानी आदि को हथेलियों पर कैसे नचाए घर पर कैसे उसका ज्यादा से ज्यादा अधिकार हो इस बारे में नुस्खे बताए जाते हैं परिणाम स्वरूप पति पत्नी के बीच विश्वास का रिश्ता नहीं बन पाता जो पति पत्नी के संबंध के लिए बेहद जरूरी होता है वो रिश्ता मजबूत होने से पूर्व ही तलाक तक पहुंच जाता है
विधिक सेवा प्राधिकरण की काउंसलिंग में भी यह तथ्य सामने आए हैं ।भोपाल की जिला विधिक सेवा प्राधिकरण में काउंसलिंग के दौरान हजारों प्रकरणों में यह तथ्य सामने आए हैं कि शादी के बाद भी मायके वाले अपनी लड़की के लगातार संपर्क में रहते हैं दिन भर में कई बार मोबाइल पर बात करते हैं हर छोटी से छोटी और बड़ी से बड़ी बात में मां का हस्तक्षेप होने के कारण शादी होकर नए घर में आई
लड़की अपने पति और ससुराल पक्ष के साथ आत्मीय रिश्ता ही नहीं बना पाती।मायके वालों के दखल के कारण पहले दिन से ससुराल को अलग तरीके से देखती है शादी के बाद भी वह मोबाइल के जरिए अपनी मां से जुड़ी रहती है जिसके कारण हजारों घर बसने से पहले उजड़ने लगते हैं। कुटुंब न्यायालय में काउंसिलिंग के दौरान तलाक के लिए 50 फीसदी से अधिक मामलों में मायके वालों के लगातार , नियमित हस्तक्षेप के कारण रिश्ते टूटने की बात कही गई है।