घर घर में नवदुर्गा समापन के साथ कन्याओं का पूजन कर कराया भोजन
विधिवत पारण के साथ नवरात्रा समाप्त
लक्ष्मणगढ़ (अलवर, राजस्थान/ गिर्राज सौलंकी) नवरात्रि का विशेष महत्व माना गया है। नवरात्रि के पर्व में मां दुर्गा के अलग-अलग 9 स्वरूपों की पूजा की गई। मां दुर्गा को शक्ति का प्रतीक माना गया है। और मां हर प्रकार के दुखों को दूर करती है। नवरात्रि में विधि पूर्वक मां दुर्गा के सभी स्वरूपों की पूजा करने से सभी प्रकार की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। नवरात्रि का पर्व 13 अप्रैल को चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा की तिथि से आरंभ हुआ था। जिसका आज बुधवार 21 अप्रैल को नवमी तिथि में नवरात्रि के पर्व का समापन कन्या पूजन और हवन के साथ किया गया। योग शिक्षक पंडित लोकेश कुमार ने बताया की नवरात्रि के पर्व में आरंभ और पारण का विशेष ध्यान रखा जाता है। मान्यता है कि नवरात्रि के व्रत का यदि विधिवत पारण न किया जाए तो पूजा का पूर्ण फल प्राप्त नहीं होता है। इसलिए पारण का विशेष महत्व बताया गया है। मान्यता के अनुसार चैत्र नवरात्रि व्रत पारण नवमी तिथि के समाप्त होने के बाद और दशमी तिथि प्रारंभ होने पर किया जाता है।निर्णय सिंधु ग्रंथ के मुताबिक चैत्र नवरात्रि का पारण नवमी तिथि समाप्त होने पर किया जाना चाहिए।
पारण को लेकर अलग-अलग तिथियों के प्रयोग की परंपरा है। कुछ भक्त नवरात्रि के व्रत का पारण अष्टमी की तिथि में करते हैं। इस तिथि को महाअष्टमी भी कहा जाता है। वहीं कुछ लोग नवमी की तिथि में मां सिद्धिदात्री की पूजा करने के बाद कन्या पूजन और हवन कर व्रत का पारण करते हैं।लेकिन पारण के लिए नवमी तिथि के अस्त होने से पहले का समय ही सर्वश्रेष्ठ माना गया है। इसके साथ ही दशमी की तिथि को भी उपयुक्त माना गया है।