जैन धर्म के प्रथम तीर्थकर भगवान आदिनाथ का निर्माण लड्डू चढ़ाया
डीग (भरतपुर,राजस्थान/ पदम जैन) जैन धर्म के प्रथम तीर्थकर भगवान आदिनाथ का मोक्ष निर्माण महोत्सव बुधवार को पुरानी डीग स्थित श्री दिगंबर जैन मंदिर में भगवान को निर्माण लड्डू चढ़ा कर बड़े धूमधाम एवं उत्साह उमंग के साथ मनाया गया! कार्यक्रम के अंतर्गत प्रातः भगवान आदिनाथ का केसर युक्त प्रासुक जल से अभिषेक कर संपूर्ण विश्व में शांति एवं प्रत्येक जीव के कल्याण कल्पना एवं उत्थान के लिए शांति धारा कर भगवान के विशेष अरघ बोलकर भगवान के मोक्ष कल्याण पर निर्माण लड्डू चढ़ाया! जैन धर्म के प्रथम तीर्थ कर भगवान आदिनाथ का जन्म अयोध्या नगरी में राजा नाभिराय एवं महारानी मरुदेवी के यहां हुआ था तीर्थकर आदिनाथ को ऋषभनाथ, ऋषभदेव, आदिबाक्षा, पुरूदेव के नाम से जाना जाता है तीर्थकर का अर्थ होता है जो तीर्थ की रचना करें जो संसार सागर (जन्म मरण के चक्र) से मोक्ष तक के तीर्थ को रचना करें वह तीर्थकर कहलाते हैं।
तीर्थकर आदिनाथ समस्त कलाओं के ज्ञाता और सरस्वती के स्वामी थे। भगवान ने विवाह संध्या की शुरूआत की और प्रजा को सैनिक कार्य, लेखन कार्य, कृषि, विद्या, शिल्प (वस्तुओं का निर्माण) और शिल्प का ज्ञान कराया इससे पूर्व प्रजा अपनी जरूरतों को कल्पवृक्ष से पूरा कराते थे। भगवान का सूत्र वाक्य था “कृषि करो या ऋषि बनो” भगवान आदिनाथ के सबसे बड़े पुत्र भरत चक्रवती के नाम पर हमारे देश का नाम भारत रखा गया। इस अवसर पर सुरेश जैन, भारत जैन गोपाल प्रसाद जैन वीरेंद्र जैन, राजेंद्र जैन, कोकाराम जैन, योगेश जैन, धर्मेंद्र जैन, हरी सेठ,अशोक जैन, शांति, शकुंतला,बीना, पुष्पा, लक्ष्मी, रजनी, चेताली,भव, कान्हा श्रेयंश आदि लोग मौजूद थे।