लोगों को बचाने में जुटा है शहर का ऑनलाइन भगवान
भीलवाड़ा (राजस्थान/ राजकुमार गोयल) जी हां, कोरोना काल में भगवान भी अब ऑनलाइन हो गये हैं। धार्मिक स्थल बंद हैं, पूजा - आरती सिर्फ पुजारियों द्वारा सीमित रह गई है। चारों तरफ त्राहि त्राहि मची हुई है। हर तरफ " त्राहिमाम् रक्ष रक्ष "का नाद सुनाई दे रहा है। अस्पतालों में जगह नहीं है, दवाइयों की कालाबाजारी हो रही है, प्राणवायु की आपूर्ति प्रभावित हो रही है , हर तरफ नकारात्मकता एवं नैराश्य का वातावरण है। फेसबुक और व्हाट्सएप खोलते हुए भी डर लगता है। एक दिन किसी कारणवश फेसबुक लॉग इन किया तो हर चौथी तस्वीर श्रृद्धांजलि से घिरी हुई थी ।
अब तो किसी के जन्मदिन पर लगाई गई फोटो में भी रूह कांप उठती है, उसमें लिखा बधाई संदेश पढ़ने पर ही तसल्ली होती है , वरना मन में अनिष्ट कल्पना से मन कलपने लगता है।
कोरोना की दूसरी लहर जमकर कहर बरपा रही है। जिसमें कोई लक्षण नहीं, उसका भी कोरोना भक्षण कर रहा है। यह समय भगवान भरोसे ही है।
डाक्टर और नर्सिंग स्टाफ लगातार अनथक परिश्रम से कोरोना की ललकार से जूझते हुए मरीजों को राहत पहुंचाने में लगे हुए हैं।
ऐसे विकट समय में भीलवाड़ा शहर में ऑनलाइन भगवान बनकर सेवा कर रहे हैं डॉ अनुराग जी शर्मा ! किसी को कोई भी लक्षण हो, संक्रमित हो या उत्तर संक्रमित , हर किसी को बचाने में एक योगी की भांति मानो साधना में लगे हुए हैं। बीमार लोग व्हाट्सएप मैसेज कर उनसे ऑनलाइन परामर्श लेते हैं। डाक्टर साहब अपने व्यस्ततम समय में से समय निकालकर इनके सवालों का जवाब देते हैं, रोगी के लक्षणों के आधार पर यथोचित परामर्श देते हैं। ज्यादा घबराहट वाले मरीजों से स्वयं बात करके हौंसला बढ़ाते हैं। उनके इस प्रयोग से सैंकड़ों मरीज स्वस्थ हो चुके हैं। स्वस्थ मरीज अपने अन्य परिचितों को इनसे उपचार लेने का परामर्श देते हैं। यह कारवां बढ़ता ही जा रहा है लेकिन डॉ शर्मा जी किसी को निराश नहीं करते। संकट की इस घड़ी में " सर्वे सन्तु निरामया: " ही इनका ध्येय बन गया है।
शहर का निजी अस्पताल हो या सरकारी अस्पताल, हर जगह भीड़ है। चिकित्सकों के निजी क्लीनिकों पर भी कतारें लगी हैं। ऐसे कठिन दौर में अपनों को बचाने के सपनों के साथ लोग डॉ अनुराग जी की तरफ उम्मीद भरी निगाहों से देख रहे हैं। ऑनलाइन परामर्श से न संक्रमित होने का डर और न ही समय का अपव्यय ! डाक्टर साहब का यह अनूठा प्रयोग शहरवासियों को बहुत लुभा रहा है।
महत्वपूर्ण बात यह है कि इस ऑनलाइन परामर्श को डा साहब ने नि:शुल्क कर रखा है। परिचित हो या अपरिचित, डॉ शर्मा के लिए इस महामारी में सब बराबर हैं। सबको बचाने के श्रम में निरंतर लगे हुए हैं। शहर के लोग खुले दिल से दुआएं दे रहे हैं।
दिन में स्वयं के नियुक्ति स्थल बापू नगर अस्पताल में मरीजों की भारी भीड़ जगह से हिलने भी नहीं देती । इसके अलावा ईएसआई हॉस्पिटल में वैक्सीन का कार्य भी इनके नेतृत्व में हो रहा है। शहर में वैक्सीनेशन के नोडल अधिकारी भी डॉ अनुराग जी ही हैं। इस कार्य के लिए कई बार कलेक्ट्रेट जाना पड़ता है। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में भाग लेना पड़ता है। प्रशासन, चिकित्सा विभाग और मरीजों ने इतना व्यस्त कर रखा है कि हर मिनट इनके मोबाइल की घंटी बजती है। अति व्यस्तता के कारण भोजन भी समय पर नहीं कर पा रहे हैं। दीपावली पर भी परिवार के बीच मौजूद नहीं रह पाए । परिवार के निजी सुख दु:ख कोसों दूर छूट गए हैं। अपने पिताजी की अस्वस्थता को डॉ पुत्र वीडियो कॉलिंग से देखकर ही दूर कर रहा है। पिताजी का भी आदेश है कि उनका पुत्र इस महामारी में अपने विभागीय कर्त्तव्य का पालन करते हुए लोगों के जीवन की रक्षा करें। इस जिम्मेदारी का निर्वहन वे पूर्ण निष्ठा से कर रहे हैं।
हमें गर्व है डॉ अनुराग जी शर्मा जैसे कोरोना योद्धाओं पर ! इन्हीं के मजबूत हौंसले और जुझारूपन में हमें आशा की किरण नजर आती है।
हमारे "युगीन साहित्य प्रवाह" समूह का प्रयास है कि समय मिलने पर डॉ साहब का फेसबुक पर लाइव साक्षात्कार लेकर कोरोना से जुड़ी भ्रान्तियां दूर करने का प्रयास किया जाए। साथ ही दर्शकों के सवालों के जवाब भी इनके द्वारा दिए जायेंगे। अपना और अपनों का ख्याल रखें।