सक्रिय कार्यकर्ता सम्मेलन में हजारों कार्यकर्ताओं ने ली ब्रज की प्रकृति पर्वतों और संपदा को बचाने की शपथ
प्रकृति, पर्यावरण एवं प्राकृतिक संपदा यह सब ईश्वर प्रदत्त धरोहर है इनका विनाश कभी भी मंगलकारी नहीं हो सकता - संत रमेश बाबा
ड़ीग (भरतपुर,राजस्थान/ पदम जैन) कनकाचल व आदिबद्री पर्वत पर हो रहे विनाशकारी खनन के बिरोध में जारी धरने के 244 वे दिन मंगलवार को धरना स्थल पर 36 वे दिन भी क्रमिक अनशन जारी रहा। मंगलवार को चन्नी भगत, गोपाल बाबा, नारायण दास, राधे श्याम व हनुमान बाबा क्रमिक अनशन पर बैठे। आंदोलनकारियों द्घारा बरसाना में विशाल सक्रिय सदस्य सम्मेलन का आयोजन किया गया। जिसमें ब्रज क्षेत्र की हजारों सक्रिय सदस्यों ने भाग लिया। इस अवसर पर समिति के संरक्षक राधाकांत शास्त्री ने उपस्थित जनसमुदाय को संबोधित करते हुए कहा कि संपूर्ण ब्रज क्षेत्र श्री राधा माधव की क्रीड़ा स्थली है एवं यहां का कण-कण श्रीकृष्ण और राधा मयी है । ब्रज की लता पता, वन उपवन एवं पर्वत, इन सभी को ब्रजवासी, कृष्ण भक्त, ब्रज उपासक प्राणों से भी अधिक प्रिय मानकर उनकी आराधना करते हैं। ऐसी स्थिति में ब्रज के अत्यंत महत्वपूर्ण पर्वत कनकाचल व आदिबद्री को विगत कई वर्षों से बड़ी मात्रा में खनन करके नष्ट किया जा रहा है जिसके लिए लंबे समय से साधु संत, ब्रजवासी संघर्षरत हैं तथा विगत 244 दिनों से डीग तहसील के गांव पसोपा में धरने पर बैठे हुए हैं। उन्होंने बताया कि अभी अगर इन पर्वतों को संरक्षित नहीं किया गया तो इनका अस्तित्व समूल रूप से नष्ट हो जाएगा एवं आने वाली पीढ़ियों के लिए ब्रज लीला व कृष्ण लीला के यह जीवंत प्रमाण मात्र एक किवदन्ती बन कर रह जाएंगे जिसके लिए हमारा समाज ही उत्तरदाई होगा।
मान मंदिर के अध्यक्ष पंडित रामजीलाल शास्त्री जी ने कहा कि अभी लड़ाई बहुत लंबी है। इन पर्वतों के संरक्षण के बाद हम सबको संपूर्ण ब्रज को वन उपवनों से आच्छादित कर देना है। हमे प्रयास करना है कि समूचा ब्रज क्षेत्र का स्वरूप वही हो जाए जो श्रीकृष्ण के समय पर था। जिस पर उपस्थित जनसमुदाय ने ब्रज की संस्कृति पौराणिक संपदा व पर्वतों के रक्षण के लिए एकमत होकर हुंकार भरी व पूरी सक्रियता के साथ इस पुनीत कार्य में योगदान देने के लिए संतो के समक्ष शपथ ली ।
राधा अष्टमी के पावन अवसर पर बरसाना स्थित मानमंदिर पर विरक्त संत रमेश बाबा महाराज ने भारी जनसमूह के बीच संपूर्ण विश्व को राधा अष्टमी पर प्रकृति व पर्यावरण के संरक्षण का संदेश देते हुए अपील की कि जीवमात्र का कर्तव्य है कि वह ईश्वर की द्वारा प्रदान की गई अलौकिक धरोहरों का रक्षण व संवर्धन करें एवं अपने निजी स्वार्थ के लिए ईश्वर प्रदत प्राकृतिक संसाधनों का विनाश ना करें। अन्यथा उसके परिणाम मंगलकारी नहीं होंगे । उन्होंने सभी को एकजुट होकर पूरे उत्साह के साथ ब्रजक्षेत्र व ब्रज के पर्यावरण एवं प्राकृतिक संपदा के संवर्धन व सौंदर्यकरण में अपना योगदान देने का आव्हान किया । इस अवसर पर भारी जनसमुदाय के अलावा ब्रज के प्रमुख संत, जनप्रतिनिधि एवं वरिष्ठ प्रबुद्ध लोग मोजूद थे।